
काठगोदाम से रवाना हुआ श्रद्धालुओं का पहला जत्था
उत्तराखंड की दिव्य धार्मिक यात्राओं में शामिल आदि कैलाश यात्रा का शुभारंभ आज हल्द्वानी के काठगोदाम से हुआ। पहले जत्थे में कुल 20 श्रद्धालु शामिल हैं, जिनमें 13 पुरुष और 7 महिलाएं हैं। यह जत्था महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं का प्रतिनिधित्व करता है।
पहले दिन के धार्मिक पड़ाव: भीमताल से जागेश्वर तक
यात्रा की शुरुआत श्रद्धा और उत्साह से भरी रही। पहले दिन श्रद्धालुओं ने भीमताल, गोलजू देवता मंदिर और जागेश्वर जैसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के दर्शन किए। दिन का अंत पिथौरागढ़ में विश्राम के साथ हुआ, जहां से वे अगले पड़ावों की ओर अग्रसर होंगे।
गूंजी और नाभीढांग होते हुए पहुंचेंगे आदि कैलाश
यात्रा के अगले चरण में धारचूला, गूंजी और नाभीढांग जैसे दुर्गम लेकिन सुंदर स्थलों को पार करते हुए श्रद्धालु पांचवे दिन आदि कैलाश के दर्शन करेंगे। यह यात्रा आठ दिनों की होगी और सातवें व आठवें दिन चौकोड़ी और अल्मोड़ा होते हुए काठगोदाम पर आकर समाप्त होगी।
श्रद्धालुओं की भावनाओं में झलकती है आस्था की गहराई
यात्रा में भाग ले रही देहरादून की स्वराज यादव ने इसे अपनी चौथी आदि कैलाश यात्रा बताया। वे पहले भी कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हर यात्रा नई आध्यात्मिक अनुभूति लेकर आती है। वहीं, मुंबई से आईं तीन सहेलियों ने इसे जीवन की नई शुरुआत और आत्मिक संतुलन का माध्यम बताया।
पारिवारिक सहभागिता ने बढ़ाया यात्रा का महत्व
इस यात्रा में भाग ले रहे दंपति नीलाक्षी और उनके पति ने कहा कि यह यात्रा उनके आपसी रिश्ते को मजबूती देने के साथ ही आध्यात्मिक ऊर्जा का भी स्रोत बनी है। उनके अनुसार, यह यात्रा केवल तीर्थ नहीं बल्कि आत्मा से जुड़ाव का माध्यम है।
वयोवृद्ध श्रद्धालुओं का उत्साह भी प्रेरणादायक
76 वर्षीय मुरली प्रसाद की उपस्थिति यात्रा में एक अलग ही ऊर्जा लेकर आई। उन्होंने कहा, “आस्था की कोई उम्र नहीं होती। शरीर थक सकता है, परंतु आत्मा की भक्ति अटूट रहती है।”
प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त
उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन ने यात्रा के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं। रास्तों की मरम्मत, मेडिकल सुविधाएं, आवास और सुरक्षा के इंतजाम पहले से सक्रिय कर दिए गए हैं। सभी पड़ावों पर गाइड और सुरक्षा बल तैनात हैं।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव है, बल्कि स्थानीय पर्यटन, व्यापार और रोजगार को भी प्रोत्साहन देती है। होमस्टे, गाइड सेवाएं और स्थानीय बाजारों में रौनक बढ़ जाती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को आर्थिक लाभ होता है।
आदि कैलाश यात्रा एक तीर्थयात्रा से कहीं अधिक है—यह आत्मिक शांति, सांस्कृतिक समृद्धि और प्रकृति से जुड़ाव का अद्भुत अनुभव है। पहले जत्थे की सफलता आने वाले जत्थों के लिए प्रेरणा बनेगी।