प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाओस यात्रा: 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और क्षेत्रीय सहयोग पर होगी चर्चा
Prime Minister Narendra Modi's visit to Laos: 21st ASEAN-India Summit and regional cooperation to be discussed
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10-11 अक्टूबर 2024 को लाओ पीडीआर के वियनतियाने में आयोजित 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यात्रा करेंगे। यह यात्रा भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच हो रही है, जहाँ म्यांमार के गृहयुद्ध और दक्षिण चीन सागर में तनाव ने क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित किया है। आसियान के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में लाओ पीडीआर इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
भारत और आसियान: एक दशक का सहयोग
इस साल भारत की “एक्ट ईस्ट” नीति के 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जिसने भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाई दी है। भारत और आसियान के बीच व्यापार, सुरक्षा, और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती मिली है, और यह नीति इंडो-पैसिफिक विजन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुकी है।
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में दोनों पक्ष अपने व्यापक रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा करेंगे और सहयोग के नए आयामों पर चर्चा करेंगे। वहीं, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच है जहाँ क्षेत्रीय नेताओं को क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर मिलेगा।
भारत की हालिया कूटनीतिक सक्रियता
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा उनकी “एक्ट ईस्ट” नीति के तहत दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ लगातार मजबूत हो रहे संबंधों की पुष्टि करता है। अपने तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में, मोदी ने वियतनाम, मलेशिया और ब्रुनेई जैसे देशों के नेताओं के साथ उपयोगी चर्चाएं कीं, और कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
द्विपक्षीय सहयोग की नई पहल
भारत और सिंगापुर के बीच सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम साझेदारी जैसे समझौतों से उन्नत विनिर्माण और तकनीकी विकास में द्विपक्षीय सहयोग को नई दिशा दी गई है। वहीं, ब्रुनेई और तिमोर-लेस्ते के साथ संबंधों को भी और मजबूत किया गया है।
भारत की पुरातात्विक टीमों द्वारा वट फो (लाओस), अंगकोर वट (कंबोडिया) और माई सन (वियतनाम) जैसे सांस्कृतिक धरोहर स्थलों का जीर्णोद्धार और संरक्षण किया गया है, जो हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर रहे हैं।
भारत: आपदा प्रबंधन में भी अग्रणी
टाइफून यागी के दौरान लाओस और वियतनाम को भारत ने ऑपरेशन सद्भाव के तहत मानवीय सहायता प्रदान की, जिसमें लाओस को 10 टन और वियतनाम को 35 टन आपातकालीन सहायता भेजी गई थी। यह भारत की क्षेत्रीय मानवीय भूमिका को दर्शाता है, जिसमें वह दक्षिण-पूर्व एशिया में एक महत्वपूर्ण और भरोसेमंद साझेदार के रूप में उभरा है।
प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत और आसियान देशों के बीच संबंधों को और भी मजबूत करने का अवसर बनेगी, जिसमें व्यापार, सांस्कृतिक संबंध, और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा।