भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अपनी सेवानिवृत्ति से पहले विधि मंत्रालय को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया है। परंपरा के अनुसार, केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा था, जिसमें उत्तराधिकारी के नाम का अनुरोध किया गया था। न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल छह महीने का होगा, जो 13 मई 2025 को समाप्त होगा।
जस्टिस संजीव खन्ना के पास एक बेहतरीन कानूनी कैरियर रहा है। उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में नामांकन किया और कराधान, संवैधानिक कानून, वाणिज्यिक कानून, और पर्यावरण कानून जैसे विविध क्षेत्रों में काम किया। इसके बाद 2005 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 2006 में स्थायी न्यायाधीश का पद प्राप्त हुआ। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में उन्होंने दिल्ली न्यायिक अकादमी और जिला न्यायालय मध्यस्थता केंद्रों का नेतृत्व किया।
18 जनवरी 2019 को जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वह सुप्रीम कोर्ट की उन बेंचों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, जैसे कि अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण और सेंट्रल विस्टा परियोजना को हरी झंडी देना। इसके अलावा, वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में अंतरिम जमानत देने वाली बेंच का भी हिस्सा थे।
न्यायमूर्ति खन्ना को उनकी निष्पक्षता और कानूनी सूझबूझ के लिए जाना जाता है, और उन्होंने विभिन्न कानूनी सेवाओं और समितियों में भी अपना योगदान दिया है। वर्तमान में वह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य हैं।