जी-20 अध्यक्षता में ग्लोबल साउथ का दबदबा
ग्लोबल साउथ के देशों ने लगातार चार वर्षों से जी-20 की अध्यक्षता की है, जिसका उद्देश्य वैश्विक शासन के पश्चिमी प्रभुत्व वाले ढांचे के विकल्प तलाशना और समावेशी संवाद को बढ़ावा देना है। 2023 में भारत के बाद ब्राजील ने अध्यक्षता ग्रहण की और अब यह दक्षिण अफ्रीका को सौंपेगा। दक्षिण अफ्रीका जी-20 की अध्यक्षता करने वाला पहला अफ्रीकी देश होगा, जो अफ्रीकी महाद्वीप की वैश्विक राजनीति में आवाज को मजबूत करेगा।
ब्रिक्स और जी-20: बहुध्रुवीय विश्व की ओर कदम
ब्रिक्स ने ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है, जिसमें कई नए सदस्यों को शामिल किया गया है। भारत इस समूह में एक अहम भूमिका निभा रहा है और ब्रिक्स प्लस के विस्तार को बढ़ावा दे रहा है। यह पहल विकासशील देशों को वैश्विक एजेंडे पर अपनी चिंताओं को व्यक्त करने का अवसर देती है।
भारत: ग्लोबल साउथ और अमीर देशों के बीच सेतु
पूर्व राजनयिक जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि भारत ग्लोबल साउथ का अनौपचारिक प्रतिनिधि बनकर उभरा है। पिछले वर्षों में भारत ने जी-20 और जी-7 दोनों मंचों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। यह स्थिति भारत को विकसित और विकासशील देशों के बीच संवाद स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर देती है।
यूक्रेन-रूस संघर्ष में भारत की मध्यस्थता की कोशिश
जी-20 ट्रोइका के सदस्य के रूप में भारत ने युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच तनाव कम करने के लिए संवाद की पहल की है। हालांकि, वैश्विक शक्तियों के कठोर रुख के कारण समाधान में बाधा आई है।
ग्लोबल साउथ की बढ़ती भूमिका पर फोकस
अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाना और ब्रिक्स का विस्तार, ग्लोबल साउथ के देशों के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है। भारत ने इन पहल के जरिये विकासशील देशों के मुद्दों को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखा है, जिससे समावेशी विकास और बहुध्रुवीय विश्व का मार्ग प्रशस्त हुआ है।