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संसद में डिजास्टर मैनेजमेंट पर उत्तराखंड के मुद्दे उठे, सांसद त्रिवेंद्र रावत ने गंगा खनन और भूकंप जोखिम पर दी अहम सलाह

Uttarakhand issues were raised in Parliament on disaster management, MP Trivendra Rawat gave important advice on Ganga mining and earthquake risk

देहरादून: संसद के शीतकालीन सत्र के 12वें दिन लोकसभा में डिजास्टर मैनेजमेंट बिल पर चर्चा के दौरान हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय चिंताओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने 17 मिनट तक अपनी बात रखते हुए गंगा किनारे खनन, भूकंप के खतरे और मानसून के दौरान किसानों को होने वाले नुकसान पर गहन चर्चा की।

गंगा किनारे अवैज्ञानिक खनन पर चिंता:
सांसद रावत ने गंगा किनारे अवैज्ञानिक खनन पर गंभीर चिंता जताई और इसे हरिद्वार और पर्यावरण के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा, “कुछ माफिया अवैज्ञानिक तरीके से खनन कर रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि गंगा किनारे के गांवों और किसानों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।” उन्होंने गंगा के पानी से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए तटबंध बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

भूकंप के जोखिम पर जागरूकता की जरूरत:
त्रिवेंद्र रावत ने उत्तरकाशी (1991) और चमोली (1999) में आए विनाशकारी भूकंपों का जिक्र करते हुए कहा कि मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण कार्य पर रोक लगाने और टेक्नोलॉजी आधारित निर्माण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड और अन्य हिमालयी राज्यों के लोगों को MCT के खतरों के बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है, ताकि लोग सुरक्षित स्थानों पर अपना घर बना सकें।”

किसानों के नुकसान पर उठाई आवाज:
सांसद ने मानसून के दौरान गंगा के उफान से किसानों और काश्तकारों की फसल को होने वाले नुकसान पर भी संसद का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि गंगा के किनारे बसे गांवों को सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

त्रिवेंद्र सिंह रावत के इन सुझावों को डिजास्टर मैनेजमेंट बिल की बहस के दौरान महत्वपूर्ण मानते हुए सदन में चर्चा का हिस्सा बनाया गया। उनके प्रयासों से उत्तराखंड के आपदाग्रस्त क्षेत्रों और पर्यावरणीय चिंताओं पर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित हुआ।

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