जेपीसी में 39 सदस्य होंगे, सरकार ने बढ़ाया प्रतिनिधित्व
संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए गए वन नेशन वन इलेक्शन बिल की समीक्षा के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया। अब इस बिल की समीक्षा करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में 31 के बजाय 39 सदस्य होंगे। यह निर्णय विभिन्न राजनीतिक दलों की मांग पर लिया गया है ताकि सभी पार्टियों को समान प्रतिनिधित्व मिल सके।
नए सदस्य शामिल: शिवसेना UBT, सपा, बीजेपी और अन्य दलों को मिली जगह
सरकार ने जेपीसी में आठ नए सदस्य शामिल किए हैं, जिनमें शिवसेना UBT से अनिल देसाई, समाजवादी पार्टी से छोटेलाल, बीजेपी से वैजयंत पांडा और संजय जायसवाल, LJP (रामविलास) से शांभवी चौधरी और सीपीएम से के. राधाकृष्णन शामिल हैं।
जेपीसी में सदस्य इस प्रकार होंगे
- लोकसभा से:
- बीजेपी-12
- कांग्रेस-3
- सपा-2
- टीएमसी-1
- शिंदे सेना-1
- शिवसेना यूबीटी-1
- एनसीपी-1
- एलजेपी-1
- जनसेना-1
- आरएलडी-1
- सीपीएम-1
- डीएमके-1
- टीडीपी-1
- राज्यसभा से: 12 सदस्य
कांग्रेस के प्रमुख नेता शामिल: प्रियंका गांधी, सुखदेव भगत और मनीष तिवारी
कांग्रेस से लोकसभा में प्रियंका गांधी, सुखदेव भगत और मनीष तिवारी जेपीसी का हिस्सा होंगे।
सरकार की रणनीति: “वन नेशन वन इलेक्शन” बिल को पारित करने में नहीं होनी चाहिए कोई रुकावट
जेपीसी में सभी प्रमुख दलों के प्रतिनिधित्व के बाद सरकार का उद्देश्य यह है कि “वन नेशन वन इलेक्शन” बिल को संसद में पारित करवाने में कोई रुकावट न आए। यदि कोई आपत्ति उठाई जाती है, तो सरकार इसका जवाब देने के लिए तैयार होगी कि दलों ने यह मुद्दा जेपीसी में क्यों नहीं उठाया।
जनता की राय भी ली जाएगी, सरकार का लक्ष्य बिल को हर हाल में लागू करना
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा देशभर में जनता की राय भी जानने की कोशिश करेगी, लेकिन मोदी सरकार इस बिल को लागू करने के लिए दृढ़ है। सरकार का मानना है कि इससे देश के संसाधनों की बचत होगी।