
चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले का माणा गांव इन दिनों हिमस्खलन की वजह से चर्चा में बना हुआ है। यह इलाका अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के चलते हमेशा चुनौतियों से भरा रहता है, जहां जीवन जीना आसान नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल माणा गांव उत्तराखंड का पहला वाइब्रेंट विलेज है, जिसका जिक्र वे कई बार कर चुके हैं। हालांकि, यह क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं से भी अछूता नहीं रहा है और पहले भी यहां हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं।
हिमस्खलन में 55 मजदूर फंसे, 4 की मौत
हाल ही में माणा गांव में हिमस्खलन (एवलॉन्च) की चपेट में आने से 55 मजदूर फंस गए थे, जिनमें से 50 को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन 4 मजदूरों की मौत हो गई। राहत और बचाव कार्य जारी है, और ग्लेशियर मलबे में दबे 4 अन्य मजदूरों की तलाश की जा रही है। रेस्क्यू किए गए 23 मजदूरों का अस्पताल में इलाज चल रहा है, जबकि एक मजदूर बिना बताए घर चला गया था।
पीएम मोदी की माणा गांव से खास जुड़ाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव है, और उन्होंने माणा गांव को देश का पहला गांव कहा था। साल 2022 में केदारनाथ और बदरीनाथ दौरे के दौरान, पीएम मोदी ने माणा में 3400 करोड़ रुपये के कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट की सौगात दी थी, जिसमें सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे, हेमकुंड साहिब रोपवे और मलारी डबल लेन मार्ग जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य और पौराणिक महत्व
माणा गांव अपनी खूबसूरती और पौराणिक गाथाओं के लिए प्रसिद्ध है। बदरीनाथ जाने वाले श्रद्धालु यहां का नैसर्गिक सौंदर्य देखने जरूर आते हैं। लेकिन यह क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के खतरे से भी घिरा रहता है। भूवैज्ञानिकों का कहना है कि हिमस्खलन की यह पहली घटना नहीं है। 2003 में भी इस इलाके में भीषण हिमस्खलन हुआ था, जिसमें बदरीनाथ मंदिर क्षेत्र से बामणी गांव तक काफी तबाही मची थी।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
बीते दिनों हिमस्खलन के कारण हुए हादसे के बाद बचाव अभियान तेज कर दिया गया है। प्रशासन और राहत दल लगातार ग्लेशियर में दबे मजदूरों की तलाश कर रहे हैं। सरकार और विशेषज्ञों की टीमें इस क्षेत्र में भविष्य में आपदाओं से निपटने के उपायों पर भी विचार कर रही हैं।