
नई दिल्ली: अब अगर आप 10 लाख रुपये से अधिक कीमत का कोई लग्ज़री उत्पाद खरीदते हैं, तो आपको 1 फीसदी स्रोत पर कर संग्रह (TCS) देना होगा। आयकर विभाग ने हाल ही में इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए बताया कि यह नियम उन वस्तुओं पर लागू होगा जिन्हें बेहद महंगे और लक्ज़री श्रेणी में रखा गया है।
इन सामानों पर लगेगा टीसीएस
आयकर विभाग के मुताबिक, यह प्रावधान ऐसे उत्पादों पर लागू होगा जिनकी कीमत 10 लाख रुपये से अधिक है और जो कलाई घड़ियों, पेंटिंग, मूर्तियां, प्राचीन वस्तुएं, दुर्लभ सिक्के और टिकट, नौकाएं, हेलीकॉप्टर, ब्रांडेड हैंडबैग, धूप का चश्मा, उच्च ब्रांड के जूते, महंगे खेल परिधान और उपकरण, होम थिएटर सिस्टम और रेसिंग या पोलो के घोड़े जैसी वस्तुओं में शामिल हैं।
बजट 2024 में हुई थी घोषणा
यह नियम वित्त अधिनियम 2024 के अंतर्गत प्रस्तावित किया गया था, जिसे जुलाई 2024 के बजट में प्रस्तुत किया गया था। इसका उद्देश्य लग्ज़री खर्चों पर निगरानी रखना और टैक्स चोरी को रोकना है।
सेलर के जिम्मे टीसीएस वसूली
इस नई व्यवस्था के तहत टीसीएस की वसूली का जिम्मा विक्रेता यानी सेलर पर होगा। जब भी कोई ग्राहक इन अधिसूचित वस्तुओं को 10 लाख रुपये से अधिक में खरीदेगा, तो विक्रेता को उस पर 1% टीसीएस सरकार को देना होगा।
खरीदारों पर प्रभाव
खरीदारों को सीधे तौर पर यह कर देना होगा, लेकिन वे इसे अपने आयकर रिटर्न में क्रेडिट के रूप में क्लेम कर सकते हैं। हालांकि इससे कुल टैक्स बोझ नहीं बढ़ता, लेकिन इससे खरीदारों को लेन-देन का बेहतर रिकॉर्ड रखना होगा और दस्तावेजों को सुरक्षित रखना होगा।
यह कदम सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें उच्च मूल्य की खरीद को पारदर्शी बनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे लेन-देन कर प्रणाली में दर्ज हों और आयकर विभाग को लग्ज़री खर्चों की बेहतर निगरानी करने में मदद मिले।