
इस्लामाबाद, 22 मई 2025 – पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के प्रमुख इमरान खान ने देश के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नति पर तीखा व्यंग्य किया है। जेल से जारी अपने संदेश में इमरान ने कहा कि असीम मुनीर को फील्ड मार्शल की बजाय “राजा” की उपाधि लेनी चाहिए थी, क्योंकि पाकिस्तान में अब लोकतंत्र की बजाय “जंगल का कानून” चल रहा है।
इमरान खान ने कहा, “अगर देश में कानून का शासन होता, तो यह पदोन्नति जनता की सेवा और पारदर्शिता पर आधारित होती, न कि व्यक्तिगत निर्णय पर। जंगल में एक ही राजा होता है, और पाकिस्तान की मौजूदा व्यवस्था उसी दिशा में जा रही है।”
फील्ड मार्शल की पदोन्नति पर उठे सवाल
जनरल असीम मुनीर को हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव के बाद फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नत किया गया। यह पाकिस्तान के इतिहास में दूसरा अवसर है जब किसी सेनाध्यक्ष को यह उपाधि दी गई है—पहला उदाहरण था जनरल अयूब खान का। हालांकि, इस फैसले को लेकर कई राजनीतिक हलकों और आलोचकों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या यह प्रोमोशन सत्ता का एकतरफा निर्णय था।
इमरान खान ने आरोप लगाया कि यह प्रमोशन खुद सेना के भीतर से तय किया गया निर्णय था, जिसमें नागरिक प्रशासन की कोई भूमिका नहीं थी। “ऐसे फैसले उस सिस्टम को दर्शाते हैं जिसमें शक्ति का संतुलन बुरी तरह बिगड़ चुका है,” उन्होंने कहा।
सेना से बातचीत के लिए खुले दरवाज़े
हालांकि जेल में रहते हुए भी इमरान खान ने सेना को एक तरह से बातचीत का निमंत्रण दिया है। उन्होंने कहा कि यदि सेना वास्तव में पाकिस्तान के भविष्य को लेकर चिंतित है, तो वह उनसे संवाद कर सकती है। साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ किसी भी तरह की डील या समझौता नहीं हुआ है।
“मेरे सिद्धांत स्पष्ट हैं, और मैं न तो किसी समझौते का हिस्सा रहा हूं, न बनूंगा,” इमरान ने अपने संदेश में दोहराया।
भारत के साथ फिर से बढ़ा तनाव
इमरान खान ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भारत की ओर से संभावित हमले को लेकर आगाह किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को बाहरी खतरों, खासकर भारत से होने वाली संभावित सैन्य कार्रवाई, आतंकी घटनाओं में इज़ाफा और बढ़ते आर्थिक संकट का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “सरकार को केवल विपक्षी दलों को कुचलने पर ध्यान देने के बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों पर फोकस करना चाहिए।”