
कोटा, 6 जून 2025: आईसीआईसीआई बैंक की कोटा शाखा से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां बैंक की रिलेशनशिप मैनेजर साक्षी गुप्ता ने कथित तौर पर 41 ग्राहकों के 110 फिक्स्ड डिपॉजिट खातों से करीब 4.58 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। यह मामला न केवल ग्राहकों के विश्वास को झकझोरने वाला है, बल्कि बैंकिंग प्रणाली की लापरवाही को भी उजागर करता है।
कई वर्षों से चल रही थी धोखाधड़ी
बताया जा रहा है कि साक्षी गुप्ता ने यह घोटाला एक-दो दिन में नहीं, बल्कि लंबे समय से योजनाबद्ध तरीके से किया। उसने ग्राहकों के एफडी खातों से पैसे निकालकर उसे शेयर बाजार में निवेश किया, इस उम्मीद में कि भारी मुनाफा कमाया जा सकेगा। लेकिन शेयर बाजार में हुए घाटे ने उसे नुकसान में डाल दिया और ग्राहक भी अपनी मेहनत की कमाई से हाथ धो बैठे।
कस्टमर अलर्ट रोकने के लिए मोबाइल नंबरों में हेरफेर
इस पूरे घोटाले को अंजाम देने के लिए साक्षी ने बेहद चालाकी से बैंक के सिस्टम में छेड़छाड़ की। उसने ग्राहकों के मोबाइल नंबरों को बदल दिया, जिससे उन्हें उनके खाते से होने वाले लेनदेन की कोई जानकारी नहीं मिल पाई। यह एक गंभीर साइबर सुरक्षा उल्लंघन माना जा रहा है।
शादी में हुई गिरफ्तारी
जब कुछ ग्राहकों ने अपनी एफडी स्टेटमेंट में गड़बड़ी देखी, तो उन्होंने बैंक से संपर्क किया। मामले की जांच शुरू हुई और धीरे-धीरे पूरे घोटाले का खुलासा हुआ। पुलिस ने साक्षी को उसकी बहन की शादी में गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में है और उससे पूछताछ की जा रही है।
बैंक करेगा भरपाई, लेकिन भरोसे को लगा गहरा झटका
आईसीआईसीआई बैंक ने एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि सभी प्रभावित ग्राहकों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही, बैंक ने यह भी कहा कि वह अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं की समीक्षा करेगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें। हालांकि, इस घटना ने बैंकिंग प्रणाली पर ग्राहकों के विश्वास को बुरी तरह प्रभावित किया है।
सवालों के घेरे में बैंकिंग निगरानी तंत्र
यह मामला यह भी दर्शाता है कि एक बैंक कर्मचारी कैसे लंबे समय तक सिस्टम को धोखा दे सकता है और किसी को भनक तक नहीं लगती। विशेषज्ञों का कहना है कि इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि बैंकों को केवल तकनीक पर नहीं, बल्कि मजबूत निगरानी प्रणाली और समय-समय पर ऑडिट पर भी ध्यान देना होगा।
आईसीआईसीआई बैंक कोटा ब्रांच की यह धोखाधड़ी न केवल एक अपराध है, बल्कि एक चेतावनी भी है कि वित्तीय संस्थानों को ग्राहक सुरक्षा को सर्वोपरि रखना होगा। यह मामला पूरे बैंकिंग सेक्टर के लिए एक सबक है कि पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना सुरक्षित बैंकिंग संभव नहीं है।