
देहरादून, 9 जून 2025 – उत्तराखंड में 5वीं अनुसूची को लागू करने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। इस संवैधानिक प्रावधान को राज्य में लागू करने के पक्ष में कानूनी विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता लगातार आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। इसी कड़ी में एडवोकेट आकाश शर्मा आगामी 9 अगस्त 2025 को सुबह 9 बजे से एक महत्वपूर्ण ऑनलाइन चर्चा की अगुवाई करेंगे। यह कार्यक्रम “लॉमेडी (LawmEdy)” पहल के तहत आयोजित किया जाएगा, जिसमें इस बात पर रोशनी डाली जाएगी कि उत्तराखंड में 5वीं अनुसूची क्यों जरूरी है।
भूमि संरक्षण से लेकर पलायन तक के मुद्दों पर केंद्रित होगी चर्चा
इस वर्चुअल सेमिनार का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में 5वीं अनुसूची लागू करने के लाभों को सामने लाना है। इस चर्चा में कई अहम पहलुओं को उठाया जाएगा, जैसे:
- भूमि बेदखली से सुरक्षा: 5वीं अनुसूची के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों की ज़मीन बाहरी प्रभाव से सुरक्षित रखी जा सकती है।
- सांस्कृतिक विरासत की रक्षा: राज्य की पारंपरिक संस्कृति और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने में यह प्रावधान कारगर हो सकता है।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: गांव आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाकर युवाओं को रोजगार के अवसर दिए जा सकते हैं।
- आदिवासी शासन को सशक्त करना: ग्राम सभाओं और पंचायतों की भूमिका बढ़ेगी, जिससे स्थानीय निर्णयों में भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी।
- पलायन की समस्या का समाधान: 5वीं अनुसूची के तहत विकास की योजनाएं गांवों में केंद्रित होंगी, जिससे युवाओं का पलायन रोका जा सकेगा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण: सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थायी बसावट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम है, वहीं जंगलों और संसाधनों की रक्षा भी संभव होगी।
- सामाजिक न्याय और घोस्ट गांवों पर नियंत्रण: नीति निर्माण में सभी वर्गों की भागीदारी और निर्जन गांवों की पुनर्स्थापना चर्चा के केंद्र में रहेंगी।
एडवोकेट आकाश शर्मा की अगुवाई में हो रहा आयोजन
एडवोकेट आकाश शर्मा इस संवेदनशील और आवश्यक विषय पर चर्चा की अगुवाई करेंगे। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मीटिंग आईडी 840 5296 2919 प्रदान की गई है। यह कार्यक्रम न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और आर्थिक नजरिए से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
उत्तराखंड के लिए यह एक निर्णायक क्षण साबित हो सकता है, जहाँ 5वीं अनुसूची के जरिए एक संवेदनशील और समावेशी विकास मॉडल की राह प्रशस्त की जा सकती है।