Blogउत्तराखंडयूथशिक्षासामाजिक

गढ़वाल मंडल के शिक्षकों का शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन: पुरानी पेंशन योजना से वंचित करने पर जताया रोष

Teachers of Garhwal division protest at Directorate of Education: Expressed anger over being denied old pension scheme

देहरादून, 11 जून – गढ़वाल मंडल के छह जिलों से आए सैकड़ों शिक्षकों ने मंगलवार को देहरादून स्थित शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन किया। शिक्षक पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) से वंचित किए जाने के विरोध में एकजुट हुए और विभाग पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सभी 2600 शिक्षकों को समान रूप से ओपीएस का लाभ मिलना चाहिए।

2005 में अतिथि से स्थायी शिक्षक बने थे

शिक्षकों ने बताया कि वर्ष 2005 में गढ़वाल मंडल के विभिन्न जिलों में कार्यरत 2600 अतिथि शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया था। नियुक्तियों से पहले इन शिक्षकों ने विभाग में वर्षों तक अतिथि शिक्षक के रूप में सेवाएं दी थीं और फिर फरवरी 2005 में सभी की बीटीसी कराई गई। अगस्त 2005 में इनका रिजल्ट आया और उसके बाद संबंधित जिलों में नियुक्ति दी गई।

चमोली को छोड़ छह जिलों में शिक्षकों को ओपीएस से बाहर रखा गया

हालांकि, अब शिक्षा विभाग ने चमोली जिले को छोड़कर बाकी छह जिलों – उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, देहरादून और हरिद्वार – के करीब 1300 शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना से बाहर कर दिया है। इससे प्रभावित शिक्षकों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि जब सभी की अर्हता, नियुक्ति प्रक्रिया और सेवा अवधि समान थी, तो फिर चयन की तिथि के मामूली अंतर के आधार पर पेंशन योजना में भेदभाव क्यों किया गया?

शिक्षक संघ ने जताई नाराजगी, हाई कोर्ट के फैसले का भी किया उल्लेख

प्रादेशिक जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री जगबीर खरोला ने कहा कि यह पूरी तरह से विभागीय लापरवाही और असमानता का मामला है। उन्होंने कहा, “सभी शिक्षकों ने एक ही प्रक्रिया से नियुक्ति पाई थी, लेकिन नियुक्ति की तिथि में मामूली अंतर के चलते 1300 शिक्षक ओपीएस से वंचित हो गए हैं। यह न्यायसंगत नहीं है।”

खरोला ने यह भी बताया कि हाई कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया है, इसके बावजूद सरकार ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने सरकार से अपील की कि सभी शिक्षकों के साथ एक समान व्यवहार किया जाए और पक्षपातपूर्ण निर्णयों को वापस लिया जाए।

शिक्षकों की चेतावनी: मांगें नहीं मानी तो होगा व्यापक आंदोलन

प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही विभाग ने इस भेदभाव को समाप्त नहीं किया और सभी शिक्षकों को ओपीएस का लाभ नहीं दिया गया, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि यह केवल पेंशन का मामला नहीं, बल्कि समानता और न्याय की लड़ाई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button