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हरिद्वार में किसान महाकुंभ का आगाज़: MSP, सब्सिडी और कृषि सुधारों पर होगा मंथन

Kisan Maha Kumbh begins in Haridwar: MSP, subsidy and agricultural reforms will be discussed

हरिद्वार: हरिद्वार के रोड़ी-बेलवाला मैदान में 15 जून से शुरू हुए चार दिवसीय किसान महाकुंभ में देशभर के किसान संगठनों और तीन राज्यों के प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी जा रही है। यह आयोजन भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) की ओर से किया गया है, जिसमें किसान हितों से जुड़े अहम मुद्दों पर गहन चर्चा और रणनीति तैयार की जाएगी।

किसानों की आवाज़ बुलंद करने का मंच

महाकुंभ का उद्देश्य देशभर के किसानों को एकजुट कर उनके सामने आ रही समस्याओं पर विचार करना है। बीकेयू के मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी ने बताया कि इस कार्यक्रम में केंद्र की नीतियों विशेषकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की स्थिति और फसलों की वाजिब कीमत को लेकर चर्चा की जाएगी। साथ ही, खेती-किसानी से जुड़ी सरकारी योजनाओं की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की जाएगी।

बढ़ती लागत, घटता लाभ—किसानों की दोहरी मार

चौधरी ने बताया कि किसानों की लागत दिन-ब-दिन बढ़ रही है लेकिन बाजार में उनकी उपज को वह मूल्य नहीं मिल पा रहा, जिसकी उन्हें अपेक्षा होती है। उन्होंने सरकार से ₹2000 की किसान सहायता राशि को बढ़ाने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि किसान हितों की अनदेखी जारी रही तो आंदोलन तेज किया जा सकता है, जिसमें दिल्ली की ओर मार्च भी शामिल हो सकता है।

सुव्यवस्थित आयोजन की तैयारियां

महाकुंभ के सुचारू संचालन के लिए आयोजकों ने विस्तृत व्यवस्थाएं की हैं। भोजन, चिकित्सा, सुरक्षा और आवास की पूरी सुविधा दी गई है। इस आयोजन में नरेश टिकैत और राकेश टिकैत की उपस्थिति से कार्यक्रम को और अधिक प्रभावशाली बनाया जा रहा है।

मांगों को लेकर ज्ञापन होगा प्रस्तुत

इस कार्यक्रम के अंत में एक मांगपत्र तैयार कर केंद्र और राज्य सरकारों को सौंपा जाएगा। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी, कृषि उपज पर सब्सिडी, सिंचाई सुविधाओं पर राहत, सौर ऊर्जा उपकरणों पर सब्सिडी और बिजली दरों में कटौती जैसी प्रमुख मांगें शामिल हैं। नेताओं ने स्पष्ट कहा कि अगर सरकार ने इन पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी, तो आगे बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।

राज्य की कृषि नीति पर भी उठे सवाल

किसान नेताओं ने उत्तराखंड सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य में किसानों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। इस महाकुंभ के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाया जाएगा ताकि आने वाले समय में किसानोन्मुख निर्णय लिए जा सकें।

यह आयोजन सिर्फ किसान हितों की बात नहीं करता, बल्कि उनके लिए स्थायी समाधान की ओर एक ठोस पहल है।

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