
जैसलमेर, 11 जून: भारतीय रक्षा क्षेत्र ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए स्वदेश में विकसित हाइब्रिड VTOL (वर्टिकल टेकऑफ एंड लैंडिंग) ड्रोन ‘रुद्रास्त्र’ का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण राजस्थान के जैसलमेर स्थित पोकरण फायरिंग रेंज में किया गया। रुद्रास्त्र UAV को भविष्य के युद्ध अभियानों के लिए अहम बताया जा रहा है, जिसमें निगरानी, सटीक हमला और खुफिया जानकारी जुटाने जैसे कार्य प्रमुख होंगे।
उन्नत क्षमताओं से लैस UAV
रुद्रास्त्र UAV की सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक इसकी 170 किलोमीटर से अधिक रेंज और लगभग 1.5 घंटे तक उड़ान भरने की क्षमता है। यह आधुनिक कैमरा, निगरानी सिस्टम और लक्ष्य पर सटीक प्रहार करने वाली तकनीक से सुसज्जित है। परीक्षण के दौरान इसने न केवल स्थिरता बल्कि उच्च स्तर की सटीकता का भी प्रदर्शन किया।
सेना की जरूरतों के मुताबिक तैयार
यह UAV पूरी तरह भारतीय सेना की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। परीक्षण के दौरान इसने VTOL तकनीक, लंबी दूरी तक उड़ान, रियल-टाइम वीडियो ट्रांसमिशन और मिशन के बाद सुरक्षित वापसी जैसी क्षमताएं दिखाईं। यह 50 किलोमीटर से अधिक की मिशन रेडियस में लगातार संचार बनाए रखने में सक्षम रहा, जो युद्धक्षेत्र में अत्यंत उपयोगी साबित हो सकता है।
सर्विलांस और जासूसी मिशनों में महत्वपूर्ण
रुद्रास्त्र को निगरानी, लक्ष्य पहचान और खुफिया जानकारी जुटाने जैसे अभियानों में इस्तेमाल किया जा सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह UAV भारतीय सेनाओं के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है, विशेषकर सीमावर्ती इलाकों और दुर्गम क्षेत्रों में।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रगति
इस ड्रोन का निर्माण पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से किया गया है। इसे डीआरडीओ के रुस्तम प्रोग्राम के अनुभव से प्रेरणा लेकर विकसित किया गया है। हाल ही में इसके इंजन का टैक्सी परीक्षण भी फरवरी 2025 के लिए निर्धारित किया गया है, जिससे इसके भविष्य के संस्करणों में और सुधार संभव है।
निजी कंपनियों की अहम भूमिका
रुद्रास्त्र की सफलता में निजी क्षेत्र की भी अहम भूमिका रही है। VTOL एविएशन इंडिया जैसी कंपनियों ने न केवल इसे डिजाइन किया बल्कि हाल ही में DGCA से आवश्यक मंजूरी भी प्राप्त की। यह भारत में रक्षा क्षेत्र में निजी निवेश और नवाचार की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।
भविष्य के लिए व्यापक संभावनाएं
रुद्रास्त्र UAV को आगे चलकर खुफिया मिशनों, सटीक हमलों और बहु-आयामी अभियानों में शामिल किया जा सकता है। इसकी सफलता भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भी प्रतिस्पर्धी स्थिति में पहुंचाएगी।