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फूलों की घाटी में सैलानियों की रौनक, 17 दिनों में पहुंचे 1800 से ज्यादा पर्यटक

The Valley of Flowers is full of tourists, more than 1800 tourists arrived in 17 days

चमोली: उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी एक बार फिर से पर्यटकों की पसंदीदा जगह बन चुकी है। 1 जून को खोले जाने के बाद अब तक केवल 17 दिनों में 1812 पर्यटक घाटी का दीदार करने पहुंच चुके हैं। इन सैलानियों में देशी और विदेशी दोनों शामिल हैं। साथ ही लगातार हो रही बारिश के कारण घाटी में फूलों के खिलने की शुरुआत भी हो गई है, जिससे इसका सौंदर्य और अधिक निखरने लगा है।

घाटी में शुरू हुआ फूलों का खिलना

बारिश के चलते घाटी में विभिन्न प्रजातियों के फूल खिलने लगे हैं, जिससे घाटी के प्राकृतिक सौंदर्य में और इज़ाफा हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि घाटी में फूलों की सबसे अधिक बहार जुलाई से अगस्त के बीच होती है, जब सैकड़ों रंग-बिरंगे फूल पूरी घाटी को एक जीवंत चादर में बदल देते हैं।

घांघरिया और पर्यटन से जुड़ी आजीविका को मिला सहारा

पर्यटकों की बढ़ती आमद से घाटी के प्रवेश द्वार घांघरिया में होटल कारोबारियों और स्थानीय व्यापारियों के चेहरे भी खिले हुए हैं। टूर पैकेज संचालक और गाइड सेवाएं देने वाले स्थानीय लोगों को भी पर्यटन गतिविधियों से अच्छा खासा लाभ हो रहा है।

पर्यटन विभाग को मिल रही आय

नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की एसडीओ सुमन के अनुसार, अब तक घाटी घूमने आए 1812 पर्यटकों में से 1794 भारतीय और 18 विदेशी सैलानी रहे हैं। इनसे कुल ₹3,43,250 की आय हुई है। भारतीय पर्यटकों से ₹200 और विदेशी पर्यटकों से ₹800 प्रति व्यक्ति शुल्क लिया जा रहा है।

युनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा

फूलों की घाटी, जो समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, लगभग 87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है। इसे साल 2005 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यहां 500 से अधिक प्रजातियों के दुर्लभ और रंगीन फूल पाए जाते हैं, जो इसे दुनिया की अनूठी जैव विविधता वाली जगहों में से एक बनाते हैं।

पर्यटन सीजन अभी बाकी है

अधिकारियों के अनुसार, जुलाई और अगस्त महीनों में घाटी में फूलों की संख्या और रंगत चरम पर होती है। यही कारण है कि आने वाले हफ्तों में यहां पर्यटकों की संख्या में और भी ज्यादा इज़ाफा होने की उम्मीद है। राज्य सरकार और वन विभाग द्वारा व्यवस्थाएं मजबूत की जा रही हैं, ताकि पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिल सके।

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