
हिमालय की गोद में एक बड़ी आपदा पनप रही है—वैज्ञानिकों का कहना है कि एक “महाभूकंप” (Great Himalayan Earthquake) अब केवल समय का इंतजार कर रहा है। यह कोई आशंका नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक पूर्वानुमान है जिसे दशकों के शोध और आंकड़ों के आधार पर पेश किया गया है। भारत के कई प्रमुख शहर जैसे दिल्ली, देहरादून, गुवाहाटी और शिलांग इस खतरे की सीधी जद में हैं।
भूगर्भीय हलचलें बनीं संकेत
विशेषज्ञों के अनुसार, इंडो-ऑस्ट्रेलियन और यूरेशियन प्लेटों के बीच लगातार बन रहे तनाव के कारण हिमालयी क्षेत्र में ऊर्जा संचित हो रही है। यह ऊर्जा जब एक बार रिलीज़ होगी, तो यह 8 या उससे अधिक रिक्टर स्केल की तीव्रता वाले भूकंप के रूप में सामने आ सकती है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि पिछली बार इतना बड़ा भूकंप 1950 में आया था, और अब स्थिति दोहराने को तैयार है।
दिल्ली और गुवाहाटी जैसे शहर सबसे अधिक खतरे में
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) और भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग (GSI) की रिपोर्टों के मुताबिक, दिल्ली-NCR, उत्तराखंड, असम और सिक्किम जैसे क्षेत्र उच्च भूकंपीय जोखिम वाले ज़ोन-4 और ज़ोन-5 में आते हैं। दिल्ली की घनी आबादी और पुराने निर्माण इसे और अधिक संवेदनशील बना देते हैं।
क्या हम तैयार हैं?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या देश इस संभावित आपदा से निपटने के लिए तैयार है? भूकंप रोधी निर्माण नियमों का पालन, सार्वजनिक जागरूकता, और आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली की तैयारी अभी भी कई हिस्सों में अधूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों, अस्पतालों और सरकारी भवनों की संरचनाओं की तुरंत समीक्षा की जानी चाहिए।
सावधानी ही है सुरक्षा
हालांकि भूकंप की भविष्यवाणी करना असंभव है, लेकिन तैयारी और सतर्कता ही इसका सबसे बड़ा समाधान है। सरकार और नागरिकों दोनों को मिलकर एक भूकंप-प्रवण भारत के लिए तैयार रहना होगा।
भूकंप आने से पहले चेतावनी नहीं देता, लेकिन तैयारी जान बचा सकती है। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।