
हल्द्वानी: उत्तराखंड वन विभाग ने बेहतर वन प्रबंधन और जैव विविधता संरक्षण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करना शुरू कर दिया है। मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने इसे अपनी तरह का पहला प्रयास बताया और कहा कि गढ़वाल वन प्रभाग की कार्य योजना तैयार करने में एआई का पायलट प्रोजेक्ट काफी उत्साहजनक परिणाम दे रहा है।
वन प्रबंधन में एआई की भूमिका
संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि एआई आधारित उन्नत सॉफ़्टवेयर की मदद से वन प्रकारों, वृक्ष प्रजातियों, और पारिस्थितिक तंत्र का विश्लेषण किया जा रहा है। यह उपकरण प्राथमिकता वाली प्रजातियों, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, और प्रबंधन हस्तक्षेप की आवश्यकता वाले क्षेत्रों की सटीक पहचान में मदद कर रहे हैं।
वन प्रभागों की 10-वर्षीय कार्य योजना
उत्तराखंड के लगभग दो-तिहाई हिस्से पर फैले विविध वन क्षेत्रों के लिए प्रत्येक प्रभाग के लिए 10 साल की कार्य योजना तैयार की जाती है। इसमें जैव विविधता, वन्यजीव, और जलग्रहण क्षेत्रों के साथ-साथ संभावित खतरों का विश्लेषण किया जाता है। इन योजनाओं को केंद्र सरकार से अनुमोदन प्राप्त होता है और सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी वन गतिविधियां इन्हीं योजनाओं के तहत संचालित की जाती हैं।
गढ़वाल वन प्रभाग में पायलट प्रोजेक्ट
गढ़वाल वन प्रभाग में एआई उपकरणों का उपयोग सिल्वीकल्चर (वन प्रबंधन) प्रणालियों और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता का आकलन करने में हो रहा है। यह विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र के लिए उपयुक्त प्रजातियों और प्रबंधन उपायों की पहचान में मदद करता है।
अन्य प्रभागों में विस्तार की योजना
गढ़वाल वन प्रभाग के प्रोजेक्ट से मिले सकारात्मक परिणामों के आधार पर, वन विभाग इसे उत्तराखंड के अन्य वन प्रभागों में लागू करने की योजना बना रहा है। यह कदम राज्य में सतत वन प्रबंधन और जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।
यह तकनीकी पहल उत्तराखंड के वनों को जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचाने और उनके सतत विकास को सुनिश्चित करने में सहायक होगी।