
नई दिल्ली – अक्षय तृतीया, जिसे हिंदू धर्म में शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इस बार न केवल धार्मिक आस्था बल्कि निवेश के नजरिए से भी खास रहा। 30 अप्रैल को मनाए गए इस पर्व पर सोने की भारी खरीदारी देखने को मिली, भले ही इसकी कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी थीं।
महंगी दरों के बावजूद 15% तक की बिक्री में बढ़त
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस साल अक्षय तृतीया पर आभूषणों की बिक्री में 10 से 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। काम ज्वैलरी के प्रबंध निदेशक कोलिन शाह का कहना है, “लोगों में इस पर्व को लेकर गहरी आस्था है। कीमतें ऊंची होने के बावजूद खरीदारी पर इसका असर नहीं पड़ा।”
सोने की कीमतें आसमान पर, फिर भी खरीदारों का जोश कायम
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, अक्षय तृतीया से पहले 24 कैरेट सोना ₹95,602 और 22 कैरेट सोना ₹91,300 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया था। यहां तक कि हाल ही में सोने ने ₹1,00,000 प्रति 10 ग्राम का ऐतिहासिक स्तर भी छू लिया था। इसके बावजूद बाजार में ग्राहकों की रुचि कम नहीं हुई, जो दर्शाता है कि भारतीय उपभोक्ताओं के लिए यह पर्व भावनात्मक महत्व रखता है।
नए उपभोक्ताओं का रुझान: हल्के और आधुनिक डिज़ाइनों की मांग
जहां पारंपरिक खरीदार भारी आभूषणों की ओर आकर्षित हैं, वहीं युवा पीढ़ी हल्के वजन और रोज़मर्रा उपयोग में आने वाले गहनों को प्राथमिकता दे रही है। कोलिन शाह के अनुसार, “नए जमाने के ग्राहक स्टाइल और उपयोगिता को ध्यान में रखकर खरीदारी कर रहे हैं, जिससे बाजार में विविधता आई है।”
निवेश के साथ परंपरा का संतुलन
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी आर्थिक अनिश्चितता के कारण सोने को ‘सुरक्षित निवेश’ के रूप में देखा जा रहा है। इस पर्व ने निवेशकों को एक ऐसा अवसर दिया, जहां वे परंपरा और फायदे दोनों को साध सकें। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने के वायदा अनुबंधों ने भी ₹1,00,000 का आंकड़ा पार कर बाजार की गर्मी को दर्शाया।
जब आस्था बन जाए बाजार की ताकत
इस वर्ष की अक्षय तृतीया ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि भारतीय बाजार में परंपरा और आस्था अब भी सर्वोपरि हैं। सोने की ऊंची कीमतें भी लोगों की श्रद्धा को कम नहीं कर सकीं, और यह दिखाता है कि भारत में सोना सिर्फ धातु नहीं, विश्वास और संस्कृति का प्रतीक है।
क्या आपने भी इस अवसर पर कुछ “अक्षय” खरीदा?