
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा फैसला लेते हुए स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ को दोगुना कर दिया है। अब इन धातुओं पर 25% की बजाय 50% टैरिफ लागू होगा। यह निर्णय वैश्विक व्यापार पर गहरा असर डाल सकता है, खासकर उन देशों पर जो अमेरिका को भारी मात्रा में मेटल उत्पादों का निर्यात करते हैं। हालांकि, इस फैसले से ब्रिटेन को छूट दी गई है।
ब्रिटेन को क्यों मिली छूट?
ब्रिटेन पर टैरिफ नहीं लगाने का फैसला पेरिस में आयोजित आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) की बैठक के दौरान लिया गया। बैठक में ब्रिटिश व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर के बीच सकारात्मक बातचीत हुई। इसके बाद दोनों देशों ने आपसी समझदारी से एक टैरिफ डील लागू करने की सहमति जताई। ब्रिटिश प्रवक्ता के अनुसार, “ब्रिटेन, अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने वाला पहला देश है और हम अपने प्रमुख उद्योगों और नौकरियों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
भारत पर क्या होगा असर?
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (EEPC India) ने इस टैरिफ बढ़ोतरी पर चिंता जताई है। EEPC इंडिया के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा कि इससे भारत के इंजीनियरिंग उत्पादों के शिपमेंट पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। भारत हर साल अमेरिका को करीब 5 बिलियन डॉलर का स्टील, एल्युमीनियम और संबंधित उत्पाद निर्यात करता है।
चड्ढा का कहना है कि टैरिफ के दोगुना हो जाने से इन वस्तुओं का निर्यात महंगा हो जाएगा और प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने की संभावना बढ़ेगी। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि भारत को भी ब्रिटेन की तरह द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की चल रही बातचीत के दौरान टैरिफ छूट की मांग करनी चाहिए।
गलत समय पर आया टैरिफ फैसला
EEPC इंडिया के अनुसार, जब भारत और अमेरिका के बीच बीटीए वार्ता चल रही है, तब इस तरह की एकतरफा टैरिफ वृद्धि से व्यापारिक रिश्तों में बाधा आ सकती है। इससे भारत के करीब 5 बिलियन डॉलर मूल्य के इंजीनियरिंग निर्यात को झटका लग सकता है, जो पहले से ही वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप की इस टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर ब्रिटेन को राहत मिली है, वहीं भारत जैसे देशों के लिए यह फैसला चिंता का विषय बन गया है। आने वाले दिनों में भारत सरकार को अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए रणनीतिक पहल करनी होगी, ताकि घरेलू उद्योगों को नुकसान से बचाया जा सके।