विकासनगर, 25 नवंबर 2024: चकराता वन प्रभाग के अंतर्गत स्थित आसन कंजर्वेशन रिजर्व में हर साल की तरह इस बार भी विदेशी पक्षियों का आगमन शुरू हो चुका है। साइबेरिया से हजारों किलोमीटर की हवाई यात्रा कर यह प्रवासी पक्षी अक्टूबर के पहले सप्ताह से यहां पहुंचने लगे हैं और मार्च तक आसन झील में डेरा जमाए रहते हैं।
पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों का केंद्र बना आसन झील
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी और पर्यटक आसन झील का रुख कर रहे हैं। यह लोग न सिर्फ पक्षियों का दीदार कर रहे हैं बल्कि अपने कैमरे में इन खूबसूरत पक्षियों को कैद कर यादें संजो रहे हैं। पक्षी प्रेमी एकलव्य ने कहा, “मैं हर साल यहां आता हूं, यह स्थान पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों के लिए बेहद सुंदर है। हालांकि, शासन को सफाई और सुविधाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।”
17 से अधिक प्रजातियों का प्रवास
चकराता वन प्रभाग के वन दरोगा और पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सक्सेना ने बताया कि यहां करीब 17-18 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं, जिनमें रूडी शेल्डक, गेडवाल, मलार्ड और नॉर्दर्न पिंटेल जैसी प्रजातियां शामिल हैं। इन पक्षियों की संख्या लगभग 6000 तक पहुंच जाती है।
साइबेरिया से 16,000 किमी की यात्रा
साइबेरिया की कड़ाके की सर्दी के कारण झीलें जम जाने पर यह पक्षी भोजन और अनुकूल वातावरण की तलाश में दक्षिण की ओर उड़ान भरते हैं। इन पक्षियों को आसन झील का शांत और अनुकूल माहौल हर साल अपनी ओर आकर्षित करता है।
पर्यटन को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं
पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों का कहना है कि आसन कंजर्वेशन रिजर्व पर्यटन के लिहाज से एक अनमोल खजाना है। सरकार अगर साफ-सफाई और पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाओं पर ध्यान दे, तो यह स्थान पर्यटन के साथ-साथ राजस्व का भी बड़ा स्रोत बन सकता है।
आसन कंजर्वेशन रिजर्व, न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए बल्कि राज्य के पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है। प्रवासी पक्षियों का यह मेला हर साल हजारों लोगों को प्रकृति के करीब लाने का काम करता है।