Blogउत्तराखंडसामाजिक

रायपुर में विधानसभा और सचिवालय निर्माण को तगड़ा झटका: केंद्र ने स्वीकृति वापस ली

Big setback to construction of Vidhansabha and Secretariat in Raipur: Centre withdraws approval

देहरादून – रायपुर क्षेत्र में विधानसभा, सचिवालय और विभागीय मुख्यालयों के निर्माण की योजना को बड़ा झटका लगा है। केंद्र के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 2016 में दी गई सैद्धांतिक स्वीकृति को निरस्त कर दिया है। उत्तराखंड सरकार अब इस प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित करने के लिए नए प्रस्ताव के साथ केंद्र से अनुमति मांगेगी।

2016 की स्वीकृति पर ब्रेक, 24 करोड़ जमा राशि पर संशय

राज्य सरकार ने 2012 में रायपुर क्षेत्र में 59.90 हेक्टेयर भूमि को इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए चिन्हित किया था। सैद्धांतिक स्वीकृति के बाद 24 करोड़ से अधिक की धनराशि केंद्र में जमा करवाई गई, जिसमें 8.5 करोड़ NPV और 15 करोड़ एलिफेंट कॉरिडोर के तहत कैंपा फंड में जमा थे। लेकिन कई वर्षों तक कार्य न होने और विभागीय तालमेल की कमी के कारण इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

फ्रीज जोन की समस्या ने बढ़ाई मुश्किलें

रायपुर और डोईवाला के कई क्षेत्रों को फ्रीज जोन घोषित करने से वहां भूमि खरीद-बिक्री पर रोक लगी, जिससे स्थानीय निवासियों को असुविधा का सामना करना पड़ा। इस निर्णय के पीछे उम्मीद थी कि प्रस्तावित निर्माण कार्य जल्द शुरू होंगे, लेकिन सालों तक योजना आगे नहीं बढ़ी, जिससे जनता की उम्मीदें टूट गईं।

केंद्र ने क्यों किया प्रस्ताव निरस्त?

मंत्रालय ने राज्य सरकार की निष्क्रियता और नॉन-साइट स्पेसिफिक प्रकृति को निरस्तीकरण का आधार बताया। नॉन-साइट स्पेसिफिक का मतलब यह है कि चिन्हित भूमि के रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में रेजिडेंशियल निर्माण को अनुमति नहीं दी जा सकती।

नए प्रस्ताव की आवश्यकता

राज्य संपत्ति विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि भूमि हस्तांतरण का नया प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है और जल्द ही इसे पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इसके बाद संबंधित स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।

गैरसैंण और देहरादून के बीच संतुलन की चुनौती

उत्तराखंड में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के बाद देहरादून में विधानसभा निर्माण को राज्य आंदोलनकारियों का विरोध झेलना पड़ा। गैरसैंण में पहले से करोड़ों खर्च कर विधानसभा भवन तैयार किया गया है, ऐसे में देहरादून में नया भवन बनाने की योजना पर सवाल उठते रहे हैं।

बड़ी परियोजनाओं पर लेटलतीफी भारी

4500 करोड़ के अनुमानित बजट वाली यह योजना लेटलतीफी और विभागीय समन्वय की कमी का शिकार हो गई। अब राज्य सरकार को न केवल नया प्रस्ताव तैयार करना होगा, बल्कि नई भूमि की तलाश भी करनी होगी। इस देरी ने राज्य के करोड़ों रुपये और संभावित विकास दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button