
उत्तरकाशी: उत्तराखंड के यमुनोत्री हाईवे पर बन रही प्रदेश की सबसे लंबी सुरंग – सिलक्यारा-पोलगांव टनल अब अपने अंतिम चरण में है। 16 अप्रैल 2025 को इस महत्वाकांक्षी परियोजना का एक ऐतिहासिक पड़ाव पूरा होगा, जब सुरंग आर-पार हो जाएगी। इसके लिए एनएचआईडीसीएल और कार्यदायी एजेंसी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं और इस अवसर को खास बनाने के लिए एक भव्य कार्यक्रम की योजना बनाई जा रही है। इसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय राज्य सड़क परिवहन मंत्री के शामिल होने की संभावना है।
मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है सुरंग
चारधाम सड़क परियोजना के तहत शुरू हुई यह सुरंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा है। वर्ष 2018-19 में यमुनोत्री हाईवे पर 853.79 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य चारधाम यात्रा मार्ग को बेहतर और सुगम बनाना है। चार किलोमीटर लंबी यह सुरंग सिलक्यारा से पोलगांव तक बनाई जा रही है।
मलबा हादसे के बाद बनी चुनौती
नवंबर 2023 में इस सुरंग में अचानक मलबा आ जाने से 41 मजदूर फंस गए थे, जिन्हें 17 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस घटना के बाद सुरंग के निर्माण में बड़ा व्यवधान आया। करीब 60 मीटर मलबे ने सुरंग को जोड़ने के काम में अड़चन पैदा की थी। हालांकि, अब यह बाधा लगभग पार कर ली गई है। सिर्फ 5.20 मीटर खुदाई का कार्य बाकी है, जिसे आगामी चार दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।
टनल से यात्रा होगी आसान
एनएचआईडीसीएल के जीएम मो. शादाब के अनुसार, सुरंग के आर-पार हो जाने के बाद एक वर्ष तक इसे आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा, जिसके बाद आम जन के लिए खोला जाएगा। इस सुरंग के चालू होने से गंगा और यमुना घाटियों के बीच की दूरी करीब 40 किलोमीटर कम हो जाएगी, जिससे न केवल यात्रा का समय घटेगा, बल्कि श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को भी राहत मिलेगी।
सुरंग के आर-पार होने का है प्रतीकात्मक महत्व
सिर्फ एक निर्माण परियोजना नहीं, यह सुरंग राज्य की इंजीनियरिंग क्षमता और आपदा प्रबंधन के सफल उदाहरण के रूप में देखी जा रही है। मलबा हादसे से उबरने और निर्माण को पटरी पर लाने में सरकार और एजेंसियों ने जो समर्पण दिखाया, वह सराहनीय है।
16 अप्रैल को यह ऐतिहासिक पल राज्य के विकास की दिशा में एक और मजबूत कदम साबित होगा।