
देहरादून में भू-तापीय ऊर्जा के लिए MoU साइन
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में भू-तापीय ऊर्जा के विकास को प्रोत्साहन देने के लिए आइसलैंड की प्रमुख कंपनी वर्किस कंसल्टिंग इंजीनियर्स के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता शुक्रवार को देहरादून सचिवालय में हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वर्चुअली शामिल हुए। इस कार्यक्रम में आइसलैंड के राजदूत डॉक्टर बेनेडिक्ट हॉस्कुलसन भी उपस्थित रहे।
भू-तापीय ऊर्जा: ऊर्जा सुरक्षा में मील का पत्थर
मुख्यमंत्री धामी ने इस पहल को राज्य और देश की ऊर्जा सुरक्षा तथा सतत विकास के लिए एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि इस समझौते से स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी, साथ ही यह पर्यावरण सुरक्षा और समावेशी विकास की दिशा में अहम कदम होगा।
आइसलैंड की विशेषज्ञता का लाभ
आइसलैंड, भू-तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देश है। उनके तकनीकी सहयोग और अनुभव से उत्तराखंड भू-तापीय ऊर्जा में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभर सकता है।
भू-तापीय ऊर्जा के संभावित क्षेत्र
भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण और वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, उत्तराखंड में 40 भू-तापीय स्थल चिन्हित किए गए हैं। इनमें ऊर्जा के दोहन की संभावनाएं मौजूद हैं।
मुख्य बिंदु:
- उत्तराखंड में भू-तापीय ऊर्जा के विकास के लिए आइसलैंड की वर्किस कंपनी के साथ समझौता।
- भू-तापीय ऊर्जा से स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरणीय सुरक्षा का लक्ष्य।
- 40 भू-तापीय स्थलों की पहचान, जिनका उपयोग ऊर्जा उत्पादन में होगा।
- परियोजना की व्यवहारिकता के अध्ययन का खर्च आइसलैंड सरकार द्वारा वहन।
- भारत के 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के संकल्प को मजबूत करेगा यह कदम।
भविष्य की योजना
यह समझौता उत्तराखंड के साथ-साथ देश के ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों को मजबूत करेगा। इसके माध्यम से राज्य स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की ओर अग्रसर है।