
देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के प्रतिष्ठित डीएवी पीजी कॉलेज के छात्र-छात्राओं का वर्षों पुराना सपना आखिरकार साकार हो गया है। कॉलेज में आधुनिक तकनीक से युक्त स्मार्ट लाइब्रेरी का विधिवत उद्घाटन शुक्रवार को किया गया। इस अवसर पर दयानंद शिक्षा संस्थान के सचिव मानवेंद्र स्वरूप विशेष रूप से कानपुर से पहुंचे और नई लाइब्रेरी का शुभारंभ किया।
स्मार्ट लाइब्रेरी की शुरुआत से न सिर्फ छात्रों में उत्साह का माहौल है बल्कि शिक्षकों में भी इस परिवर्तन को लेकर सकारात्मक ऊर्जा दिखाई दे रही है। लंबे समय से छात्र एक सुविधाजनक और संसाधनों से भरपूर पुस्तकालय की मांग कर रहे थे, जो अब पूरी हो गई है।
पुरानी लाइब्रेरी की खस्ता हालत
1916 में स्थापित यह कॉलेज उत्तराखंड के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में से एक है। यहां न केवल देहरादून बल्कि राज्य के अन्य जिलों से भी छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने आते हैं। बावजूद इसके, कॉलेज की पुरानी लाइब्रेरी लंबे समय से जर्जर हालत में थी। न तो पर्याप्त पुस्तकें थीं, न ही छात्रों के बैठने की समुचित व्यवस्था। यहां तक कि टीनशेड तक हट चुकी थी, जिससे बारिश और गर्मी में छात्रों को काफी परेशानी होती थी।
इन हालातों के चलते विद्यार्थियों को मजबूरन डीएल रोड और करनपुर की निजी लाइब्रेरी की ओर रुख करना पड़ता था, जो सभी के लिए आर्थिक रूप से संभव नहीं था।
स्मार्ट सुविधाओं से लैस नई लाइब्रेरी
अब तैयार हुई नई स्मार्ट लाइब्रेरी में आधुनिक सुविधाओं का समावेश किया गया है। लाइब्रेरी वाई-फाई से सुसज्जित है और फिलहाल इसमें 10 से 12 कंप्यूटर लगाए गए हैं। भविष्य में इसमें 70 से अधिक कंप्यूटर जोड़ने की योजना है, जिससे डिजिटल अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा।
कॉलेज छात्र संघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि छात्र संघ ने लगातार लाइब्रेरी के निर्माण के लिए प्रयास किए। उनका कहना है कि कॉलेज में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और निजी लाइब्रेरी की महंगी फीस वहन नहीं कर सकते। इसलिए कॉलेज परिसर में ही एक ऐसी लाइब्रेरी का निर्माण जरूरी था, जो सभी सुविधाएं मुहैया करा सके।
भविष्य की योजना
कॉलेज प्रशासन और छात्र संघ दोनों का मानना है कि यह स्मार्ट लाइब्रेरी न केवल छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाएगी बल्कि उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बेहतर प्लेटफार्म भी प्रदान करेगी। यह पहल न केवल तकनीकी दृष्टि से कॉलेज को मजबूत बनाएगी बल्कि एक सकारात्मक शैक्षणिक वातावरण का निर्माण भी करेगी।