हरिद्वार/विकासनगर/ऋषिकेश: बिहार और पूर्वांचल का सबसे महत्वपूर्ण लोकपर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है। इस दिन महिलाएं डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं और उनके सामने फल-फूल समर्पित करती हैं। उत्तराखंड के गंगा घाटों, खासकर हरकी पैड़ी, ऋषिकेश और विकासनगर में इस पर्व की धूम मची हुई है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु छठ व्रत के इस महत्वपूर्ण दिन में सूर्य की पूजा कर रहे हैं।
हरकी पैड़ी और गंगा घाटों पर भारी भीड़:
गंगा किनारे स्थित हरकी पैड़ी और अन्य घाटों पर छठ व्रति महिलाओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। बिहार और पूर्वांचल के लोग दोपहर से ही घाटों पर इकट्ठा होकर विधिपूर्वक सूर्य देव को अर्घ्य दे रहे हैं। श्रद्धालु सूर्य देव से परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना कर रहे हैं। यह माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से सूर्य की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
विकासनगर और ऋषिकेश में खास आयोजन:
विकासनगर में छठ पूजा के दौरान गैंग देव बावड़ी मंदिर के पास स्थित कुंड में व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। स्थानीय निवासी भारती मीना देवी ने बताया कि वे इस व्रत को अपनी समस्याओं का समाधान पाने और छठी मैया से आशीर्वाद लेने के लिए करती हैं।
ऋषिकेश में सार्वजनिक छठ महोत्सव का आयोजन धूमधाम से किया गया, जिसमें क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने भी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश और देश की उन्नति के लिए प्रार्थना की और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया।
छठ पूजा की महिमा:
छठ पूजा का आरंभ “नहाय खाय” से होता है, और दूसरे दिन “खरना” होता है। तीसरे दिन सूर्य को डूबते समय अर्घ्य देने के बाद चौथे दिन प्रातःकालीन अर्घ्य के साथ इस महापर्व का समापन होता है। यह पर्व मुख्य रूप से विवाहिता महिलाओं द्वारा किया जाता है, और इसे संतान सुख की प्राप्ति से जोड़ा जाता है।
छठ पूजा का व्रत मेष राशि में सूर्य के प्रवेश के साथ शुरू होता है, और इसे एक विशेष महत्व माना जाता है। इस दौरान सूर्य की पूजा से घर-परिवार के सभी ग्रह अनुकूल हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
उत्तराखंड में बिहार और पूर्वांचल के श्रद्धालुओं के लिए यह पर्व बहुत ही धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, और राज्य में छठ पूजा की धूम मची हुई है।