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China: चीन ने किया इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण, बढ़ सकती हैं अंतरराष्ट्रीय चिंताएं

China successfully tests intercontinental ballistic missile, international concerns may increase

चीन ने बुधवार को प्रशांत महासागर में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह परीक्षण वैश्विक सुरक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इससे चीन के परमाणु क्षमता निर्माण को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंताएं बढ़ सकती हैं।

चीनी रक्षा मंत्रालय का बयान

चीनी रक्षा मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि यह परीक्षण पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के रॉकेट फोर्स द्वारा किया गया। मिसाइल ने डमी वारहेड के साथ प्रशांत महासागर में लक्षित स्थान पर सफलतापूर्वक प्रहार किया। मंत्रालय के अनुसार, यह परीक्षण चीन की वार्षिक सैन्य अभ्यास योजना का हिस्सा था।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और अमेरिका को सूचित

पेंटागन के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि परीक्षण से पहले चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका को सूचित किया था। उन्होंने इस कदम को पारदर्शिता के लिए एक सकारात्मक संकेत बताया, जिससे किसी भी तरह की गलतफहमी या गलत अनुमान की स्थिति पैदा न हो। इसके साथ ही चीन ने अन्य संबंधित देशों को भी इस परीक्षण के बारे में पहले से जानकारी दे दी थी।

असामान्य परीक्षण और अंतरराष्ट्रीय संकेत

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह परीक्षण असामान्य था क्योंकि इससे पहले आमतौर पर चीन अपने पूर्वी तट से पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्रों में ही मिसाइलें दागता रहा है। कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के वरिष्ठ फेलो, जेम्स एक्टन ने कहा कि यह परीक्षण अंतरराष्ट्रीय जल में मिसाइल दागने की घटना को इंगित करता है, जो एक असामान्य और महत्वपूर्ण संकेत है।

44 साल बाद खुले समुद्र में ICBM परीक्षण

चीन ने 44 साल के लंबे अंतराल के बाद खुले समुद्र में ICBM का परीक्षण किया है, जो अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंचने में सक्षम है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह परीक्षण चीन के परमाणु शस्त्रागार की ताकत को दर्शाने और वैश्विक शक्ति संतुलन में अपनी स्थिति को मजबूत करने का एक तरीका हो सकता है। जेम्स एक्टन के अनुसार, “44 साल बाद जब चीन इस तरह का परीक्षण करता है, तो यह उनका तरीका है यह बताने का कि वे गंभीर हैं।”

संयुक्त राष्ट्र महासभा के बीच किया गया परीक्षण

इस परीक्षण का समय भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न्यूयॉर्क में चल रही संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान हुआ है। चीन, जो सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी वीटो-धारक सदस्यों में से एक है, ने पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश की है, विशेष रूप से मानवाधिकार और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर।

चीन का यह कदम न केवल वैश्विक भू-राजनीति को प्रभावित कर सकता है, बल्कि आने वाले समय में अन्य शक्तियों के साथ उसके संबंधों पर भी इसका असर पड़ सकता है।

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