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त्रिवेंद्र के संकटमोचक की रणनीति से मिली चैंपियन को राहत, 50 दिन बाद जेल से रिहाई

Trivendra's troubleshooter strategy brings relief to Champion, he is released from jail after 50 days

आख़िरकार 50 दिन बाद कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को ज़मानत, लीगल टीम ने निभाई अहम भूमिका

उत्तराखंड की सियासत में एक बड़े घटनाक्रम के तहत खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को हरिद्वार सत्र अदालत से सशर्त जमानत मिल गई है। करीब 50 दिन तक जेल में रहने के बाद 18 मार्च को उन्हें रिहा किया गया। इस पूरे मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संकटमोचक माने जाने वाले आयुष पंडित की कानूनी टीम ने बड़ी भूमिका निभाई।

चैंपियन की गिरफ्तारी और विवाद की पृष्ठभूमि

बता दें कि 27 जनवरी को गोलीकांड के बाद पुलिस ने कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। उनका नाम इस मामले में लगातार सुर्खियों में रहा और उनके विवादित वीडियो ने पूरे देश में सनसनी फैला दी। इस वजह से निचली अदालत ने दो बार उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जानकारों का मानना था कि मामला मीडिया ट्रायल से प्रेरित हो चुका था, जिसके कारण चैंपियन को न्यायालय से राहत मिलना बेहद मुश्किल हो रहा था।

Trivendra's troubleshooter strategy brings relief to Champion, he is released from jail after 50 days
Trivendra’s troubleshooter strategy brings relief to Champion, he is released from jail after 50 days

त्रिवेंद्र के संकटमोचक ने बदला खेल

चैंपियन को कानूनी लड़ाई में सफलता दिलाने में पत्रकार और राजनीतिक रणनीतिकार आयुष पंडित की लीगल टीम ने अहम भूमिका निभाई। 2018 में भी आयुष पंडित ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार को संकट से उबारा था, जब वे चर्चित खोजी पत्रकार उमेश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके थे। तभी से उमेश कुमार और आयुष पंडित के बीच राजनीतिक दुश्मनी बनी हुई है।

इस बार भी, सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि पार्टी हाई कमान की विशेष अनुमति से आयुष पंडित की कानूनी टीम को इस केस की मॉनिटरिंग के लिए लगाया गया था। इस टीम में वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद शुक्ला, कबीर चानना, राकेश कुमार सिंह और गोपाल चतुर्वेदी सहित अन्य अनुभवी वकील शामिल थे।

राजनीतिक समीकरण और भविष्य के संकेत

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस पूरे मामले ने उत्तराखंड की सत्ता के समीकरणों को फिर से स्पष्ट कर दिया है। यह स्पष्ट हो गया है कि जब भी कोई सियासी संकट आता है, पार्टी के वरिष्ठ नेता आयुष पंडित की रणनीतिक कुशलता पर भरोसा जताते हैं। इस मामले में भी यह देखा गया कि जब चैंपियन को राहत मिलती नहीं दिख रही थी, तब आयुष पंडित की लीगल टीम ने कानूनी दांव-पेंच का सही इस्तेमाल कर उनकी रिहाई सुनिश्चित करवाई

पुरानी कहावत एक बार फिर सच साबित हुई— “दुश्मन का दुश्मन, दोस्त होता है!” और यह भी कि “सच्चा दोस्त वही जो संकट में साथ खड़ा रहे!”

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