
उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बड़कोट नगर क्षेत्र में आज भी महाभारत कालीन और पौराणिक जलकुंड मौजूद हैं। स्थानीय लोग इन कुंडों का उपयोग जलापूर्ति और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए करते हैं। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने इन ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की है।
360 से अधिक प्राचीन जलकुंडों का अस्तित्व
रवांई घाटी ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से समृद्ध मानी जाती है। इस क्षेत्र में करीब 360 प्राचीन जलकुंड मौजूद हैं, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। बड़कोट क्षेत्र को कभी राजा सहस्त्रबाहु की राजधानी माना जाता था।
सेवानिवृत्त अध्यापक भगत राम बहुगुणा ने बताया कि 1975 में राजकीय इंटर कॉलेज, बड़कोट में खुदाई के दौरान एक प्राचीन जलकुंड और घड़े में रखी सरस्वती देवी की मूर्ति मिली थी। इस मूर्ति को उसी स्थल पर स्थापित कर दिया गया।
ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण जरूरी
बड़कोट बस पार्किंग कुंड, आरामशीन के पास नर-नारायण कुंड जैसे कई कुंड आज भी मौजूद हैं और स्थानीय लोग इनका पानी पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता और एडवोकेट वीरेंद्र सिंह पायल का कहना है कि इन ऐतिहासिक जलकुंडों का संरक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से इन कुंडों पर शोध केंद्र स्थापित करने और पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने की अपील की है।
यदि इन ऐतिहासिक जलकुंडों का उचित संरक्षण किया जाए, तो यह धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन को बढ़ावा दे सकते हैं और उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखा जा सकता है।