
हल्द्वानी: उत्तराखंड के बागवान दिनेश चंद्र जोशी इन दिनों पहाड़ों की वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों से ऑर्गेनिक चायपत्ती तैयार कर रहे हैं। आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ वह स्थानीय युवाओं को भी रोजगार से जोड़ रहे हैं। उन्होंने कश्मीरी कहवा चाय, पान चाय, मोरिंगा चाय, बिच्छू घास चाय, बॉम्बे मसाला चाय, हिमालय पिंक सॉल्ट चाय, निर्मल चाय, रोज टी, ग्रीन और ब्लैक चाय सहित कुल 22 प्रकार की चायपत्ती तैयार की है, जो बाजार में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।
नौकरी छोड़कर बनाई नई पहचान
दिनेश चंद्र जोशी ने एमबीए किया है और कई कंपनियों में काम कर चुके हैं। लेकिन नौकरी करने की बजाय उन्होंने खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि भारत में पानी के बाद सबसे ज्यादा चाय पी जाती है, जिससे उन्हें चायपत्ती का कारोबार शुरू करने का विचार आया।
100% ऑर्गेनिक और स्वास्थ्यवर्धक चाय
उन्होंने बताया कि उनकी चाय पूरी तरह से ऑर्गेनिक और स्वास्थ्यवर्धक है। उत्तराखंड के पहाड़ों में मिलने वाली जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों से यह चाय तैयार की जाती है। इससे न केवल स्वास्थ्य को लाभ होता है, बल्कि यह स्वाद में भी बेहतरीन होती है।
स्थानीय युवाओं को रोजगार का अवसर
दिनेश चंद्र जोशी ने स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की पहल भी की है। चायपत्ती की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का काम स्थानीय युवाओं को सौंपा गया है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनने का अवसर मिल रहा है।
ऑनलाइन और प्रदर्शनियों में बिक्री
चायपत्ती की मार्केटिंग के लिए वह प्रदर्शनियों में अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाते हैं और ऑनलाइन भी बिक्री करते हैं। उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों से जड़ी-बूटियां इकट्ठा कर प्रोसेसिंग प्लांट में चाय तैयार की जाती है।
उत्तराखंड में स्टार्टअप को दे रहे बढ़ावा
दिनेश चंद्र जोशी का यह स्टार्टअप पहाड़ों में रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहा है। उनका मानना है कि यदि युवा आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ें, तो उन्हें महानगरों में पलायन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उनका यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में एक सराहनीय पहल है।