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रुद्रप्रयाग का दिव्य कार्तिक स्वामी मंदिर: आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम

Divine Kartik Swami Temple of Rudraprayag: A confluence of faith and natural beauty

सीएम धामी ने किया वीडियो शेयर, हिमालय के दिव्य दर्शन की अपील

उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां का हर मंदिर अपनी पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक अनूठा मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस मंदिर का एक अद्भुत वीडियो साझा किया। उन्होंने लिखा,
“भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित ‘कार्तिक स्वामी मंदिर’ रुद्रप्रयाग जनपद में क्रोंच पर्वत शिखर पर स्थित है। यह मंदिर क्षेत्र विहंगम प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण है, जहां से हिमालय की मनोरम पर्वत श्रृंखलाओं के दर्शन भी होते हैं।”

मुख्यमंत्री धामी ने लोगों से इस दिव्य स्थल के दर्शन करने की अपील भी की।

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन का अद्भुत संगम

रुद्रप्रयाग जिले में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम है। यह मंदिर रुद्रप्रयाग-पोखरी रोड पर कनकचौरी गांव के पास एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए कनकचौरी गांव से लगभग 3 किलोमीटर का ट्रेक करना पड़ता है। जब श्रद्धालु इस पहाड़ी रास्ते पर चलते हैं, तो उन्हें प्रकृति की अद्भुत सुंदरता के साथ आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।

भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र को समर्पित है यह मंदिर

यह मंदिर भगवान कार्तिकेय को समर्पित है, जो भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र माने जाते हैं। माना जाता है कि उत्तराखंड में कार्तिकेय का यह एकमात्र मंदिर है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को ‘कार्तिक मुरुगन स्वामी’ के नाम से जाना जाता है, लेकिन उत्तर भारत में उनके मंदिर बहुत कम हैं।

कार्तिक स्वामी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

इस मंदिर की स्थापना से जुड़ी एक प्राचीन कथा प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय से ब्रह्मांड की सात परिक्रमा करने को कहा। शर्त थी कि जो सबसे पहले यह परिक्रमा पूरी करेगा, उसे सबसे पहले पूजे जाने का सौभाग्य मिलेगा।

भगवान कार्तिकेय ने तुरंत अपनी यात्रा शुरू कर दी, जबकि गणेश जी ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की परिक्रमा कर ली और कहा कि “मेरे लिए आप ही ब्रह्मांड हैं।” गणेश जी की इस चतुराई से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें सबसे पहले पूजे जाने का वरदान दिया।

जब कार्तिकेय अपनी यात्रा पूरी करके लौटे और यह जानकर नाराज हुए, तो उन्होंने क्रोध में आकर अपने शरीर का मांस और हड्डियां भगवान शिव को अर्पित कर दीं। इसी कारण, कार्तिक स्वामी मंदिर में भगवान कार्तिकेय की हड्डियों की पूजा की जाती है

कैसे पहुंचें कार्तिक स्वामी मंदिर?

यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, और यहां पहुंचने के लिए दो प्रमुख मार्ग उपलब्ध हैं:

  1. ऋषिकेश – देवप्रयाग – श्रीनगर – रुद्रप्रयाग मार्ग
    • इस मार्ग पर बसें और टैक्सियां आसानी से उपलब्ध हैं।
  2. रामनगर – रानीखेत – चौखुटिया – गैरसैंण – कर्णप्रयाग – गौचर – रुद्रप्रयाग मार्ग
    • इस मार्ग पर कर्णप्रयाग तक यातायात के लिए बस या बुकिंग वाली टैक्सियां मिलती हैं।

रुद्रप्रयाग से कार्तिक स्वामी मंदिर लगभग 40 किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने के लिए रुद्रप्रयाग-पोखरी मार्ग पर टैक्सी किराए पर ली जा सकती है या शेयर्ड टैक्सियां भी उपलब्ध हैं। अंतिम 3 किलोमीटर की दूरी पैदल ट्रेकिंग करके पूरी करनी होती है

कार्तिक स्वामी मंदिर: आस्था और प्रकृति का दिव्य संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा भी है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को न केवल भगवान कार्तिकेय की भक्ति का अनुभव होता है, बल्कि हिमालय की मनोरम पर्वत श्रृंखलाओं के दृश्य भी देखने को मिलते हैं।

अगर आप उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन की योजना बना रहे हैं, तो कार्तिक स्वामी मंदिर की यात्रा जरूर करें और इस दिव्य स्थल के दर्शन करके आत्मिक शांति का अनुभव लें।

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