
चमोली: जिले में ग्रामोत्थान परियोजना ग्रामीणों की आर्थिकी को सशक्त बना रही है। इस योजना के तहत विभिन्न स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण अपने गांव में ही रहकर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं।
25 क्लस्टर लेवल फेडरेशन का गठन, स्वरोजगार को बढ़ावा
जिला परियोजना प्रबंधक ममराज सिंह चौहान ने बताया कि ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत जनपद में 25 क्लस्टर लेवल फेडरेशन बनाई गई हैं। इनकी मदद से ग्रामीणों को बकरी पालन, डेयरी यूनिट, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, कुक्कुट पालन, ब्यूटी पार्लर, सिलाई सेंटर, रिटेल शॉप, फर्नीचर निर्माण, ढाबा, रेस्टोरेंट और फूड प्रोसेसिंग यूनिट जैसे छोटे-बड़े व्यवसायों में संलग्न किया जा रहा है।
कृषि और गैर-कृषि आधारित योजनाओं से 400 से अधिक ग्रामीण लाभान्वित
परियोजना के तहत जिले में 53 ग्रामीणों को कृषि आधारित योजनाओं से, 55 को गैर-कृषि आधारित उद्यमों से तथा 300 को ‘एक्ट्रीम और अल्ट्रा पुअर योजना’ के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। इसमें 30 प्रतिशत अंशदान परियोजना द्वारा, 20 प्रतिशत लाभार्थी द्वारा तथा शेष धनराशि बैंक ऋण के रूप में दी जाती है, जिससे ग्रामीण उद्यम स्थापित कर सकते हैं।
ग्रामोत्थान परियोजना से मंजू देवी बनीं आत्मनिर्भर
टंगसा गांव निवासी मंजू देवी ने परियोजना की मदद से मिनी डेयरी यूनिट स्थापित की। वे प्रतिदिन 22 लीटर दूध का विपणन कर रही हैं और इससे उन्हें हर महीने 18 से 20 हजार रुपये की आय हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस योजना से उन्हें आर्थिक मजबूती मिली है और वे अपने परिवार का भरण-पोषण बेहतर तरीके से कर पा रही हैं।
गांव में रिटेल शॉप खोलकर आत्मनिर्भर बनीं अमिता देवी
कुजौं-मैकोट निवासी अमिता देवी ने ग्रामोत्थान परियोजना के सहयोग से अपने गांव में रिटेल शॉप स्थापित की है। इस दुकान से वे हर महीने करीब 10 हजार रुपये कमा रही हैं। उन्होंने बताया कि यह योजना गांव के लोगों को स्वरोजगार के बेहतर अवसर दे रही है और महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है।
ग्रामीणों के लिए सुनहरा अवसर
ग्रामोत्थान परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। कृषि और गैर-कृषि आधारित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से स्थानीय लोगों को नई संभावनाएं मिल रही हैं, जिससे वे अपने गांव में ही रहकर बेहतर आजीविका अर्जित कर रहे हैं।