सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में ली अंतिम सांस
73 वर्षीय मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें हृदय संबंधी समस्याओं के चलते आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। जाकिर हुसैन को भारतीय और विश्व संगीत का एक महान स्तंभ माना जाता था।
पारिवारिक और सांगीतिक विरासत का सम्मान
जाकिर हुसैन तबला वादन की विरासत लेकर चले। उनके पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा खुद एक प्रख्यात तबला वादक थे। जाकिर हुसैन ने महज 3 साल की उम्र में तबला बजाना शुरू कर दिया था और 11 साल की उम्र से ही मंच पर प्रस्तुति देने लगे थे।
नेताओं और कलाकारों ने दी श्रद्धांजलि
राहुल गांधी का शोक संदेश
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “महान तबला वादक का जाना संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी कला की विरासत हमेशा यादों में जिंदा रहेगी।”
केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल की श्रद्धांजलि
सीआर पाटिल ने कहा, “उस्ताद जाकिर हुसैन भारतीय संगीत की आत्मा थे। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनका निधन कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।”
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने व्यक्त की संवेदनाएं
असम के मुख्यमंत्री ने कहा, “जाकिर हुसैन ने भारतीय तबले को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित किया। उनके जाने से संगीत जगत में जो खालीपन आया है, उसे भरना कठिन है।”
संगीत के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान
उस्ताद जाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। वे पहले भारतीय तबला वादक थे जिन्हें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में आमंत्रित किया था।
दुनिया भर में भारतीय संगीत के ब्रांड एंबेसडर
जाकिर हुसैन ने चार दशक पहले अपने परिवार के साथ अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में बसने के बावजूद भारतीय संगीत को विश्व पटल पर पहुंचाने का कार्य किया। उन्होंने तबले की जटिलताओं को अपनी उंगलियों के जादू से सरल और मनोरम बना दिया।
संगीत जगत में अपूरणीय क्षति
जाकिर हुसैन के निधन पर संगीत प्रेमियों, राजनेताओं और सांस्कृतिक जगत ने एक स्वर में इसे भारतीय कला जगत की अपूरणीय क्षति बताया है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।