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Increase in stubble burning cases: ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में 9 जिलों के किसानों ने फिर बढ़ाई पर्यावरणीय चुनौती, जागरूकता के बावजूद 697 मामले

Farmers of 9 districts in Gwalior-Chambal region again raised environmental challenge, 697 cases despite awareness

मध्यप्रदेश में पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे सरकार के प्रयासों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के 9 जिलों में पिछले सवा महीने में 697 मामले दर्ज हुए हैं, जिससे मध्यप्रदेश पराली जलाने के मामले में पंजाब के बाद दूसरे स्थान पर है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के अनुसार, 15 सितंबर से 27 अक्टूबर के बीच राज्य में कुल 1169 मामले सामने आए।

गुना जिले में इस अवधि में सबसे अधिक 380 मामले दर्ज किए गए, जबकि अशोकनगर में 183, शिवपुरी में 97 और मुरैना में 26 मामले सामने आए। वहीं, कुछ जिलों में जागरूकता बढ़ने से पराली जलाने की घटनाओं में कमी देखी गई है। सिवनी जिले में पिछले साल 114 मामले थे, जो इस साल घटकर 29 रह गए, और सीहोर में भी मामले घटकर 13 पर आ गए हैं।

पराली जलाने की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए प्रदेश के कृषि विभाग ने सतर्कता बढ़ाई है। सैटेलाइट के माध्यम से पराली जलाने के मामलों की निगरानी की जा रही है, और प्रभावित जिलों के कलेक्टरों को मामले की जानकारी दी जा रही है। किसानों को नरवाई के जलने से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान और ‘नरवाई रथ’ चलाई जा रही है। सरकार की ओर से हैपीसीडर और सुपर सीडर मशीनों पर सब्सिडी प्रदान की जा रही है ताकि किसानों को पराली जलाने की आवश्यकता ना पड़े।

इस समस्या पर नियंत्रण के लिए सरकार का जोर कृषि तकनीकी और जागरूकता पर है, लेकिन इसके बावजूद भी ग्वालियर-चंबल जैसे क्षेत्रों में समस्या गंभीर बनी हुई है।

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