FB पोस्ट पर अपमानजनक कमेंट | डीजी सूचना बंशीधर तिवारी ने दी पुलिस को तहरीर | Cyber Cell जांच में जुटी
डीजी सूचना बंशीधर तिवारी ने सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर पुलिस को तहरीर दी।

सोशल मीडिया के इस दौर में जहां सूचना का प्रवाह तीव्र गति से होता है, वहीं अफवाहों और फेक पोस्ट्स का प्रसार प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। हाल ही में इसका एक उदाहरण उत्तराखंड के सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी से जुड़ा सामने आया है।
फेसबुक पर कुछ व्यक्तियों द्वारा डीजी सूचना बंशीधर तिवारी के खिलाफ अपमानजनक और अराजक टिप्पणियां की गईं। यह न केवल व्यक्तिगत गरिमा का हनन है, बल्कि प्रशासनिक मर्यादाओं का भी गंभीर उल्लंघन माना जा रहा है।
डीजी सूचना ने दर्ज कराई शिकायत
सूत्रों के अनुसार, डीजी सूचना बंशीधर तिवारी ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून अजय सिंह को एक औपचारिक पत्र भेजा है।
उन्होंने लिखा है कि –
“कतिपय व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया पर मेरी छवि को धूमिल करने की साजिश के तहत बिना किसी तथ्य के आरोप लगाए जा रहे हैं, जिससे मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुँच रही है।”
डीजी ने पुलिस से पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की मांग की है। बताया जा रहा है कि उन्होंने उन सभी पोस्टों और फेक आईडीज़ के स्क्रीनशॉट पुलिस को साक्ष्य के रूप में सौंपे हैं।
साइबर सेल ने शुरू की तकनीकी जांच
पुलिस के साइबर सेल ने भी इस मामले को दर्ज कर लिया है और संदिग्ध आईडीज़ की जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से संबंधित डेटा और आईपी ट्रेसिंग रिपोर्ट मांगी गई है ताकि फेक प्रचार फैलाने वालों की पहचान की जा सके।
निंदनीय सोशल मीडिया व्यवहार
जानकारों का कहना है कि बंशीधर तिवारी एक ईमानदार, अनुशासित और पारदर्शी अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में विभाग ने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और जनसंपर्क की आधुनिक तकनीकों के क्षेत्र में कई सुधार किए हैं।
देवभूमि समाचार ने भी इस विषय पर पत्राचार और सूचना अधिकार अधिनियम के तहत कुछ सूचनाएं मांगी हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी या संस्था के खिलाफ बेहूदा और अपमानजनक टिप्पणियां करना निंदनीय है।
सोशल मीडिया की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी
यह मामला इस बात की चेतावनी है कि सोशल मीडिया की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं है कि किसी की साख और गरिमा के साथ खिलवाड़ किया जाए।
बंशीधर तिवारी जैसे वरिष्ठ अधिकारी पर बिना प्रमाण आरोप लगाना न केवल व्यक्तिगत आघात है, बल्कि राज्य की सूचना प्रणाली की साख पर भी प्रश्न उठाना है।