
आयुष्मान भारत योजना के तहत जारी गोल्डन कार्ड से कैशलेस इलाज पर संकट गहराता जा रहा है। कई निजी अस्पतालों ने इस कार्ड के तहत मरीजों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। अस्पतालों का कहना है कि उन्हें सरकारी भुगतान में देरी हो रही है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति प्रभावित हो रही है। इस समस्या के चलते हजारों मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।
अस्पतालों की वित्तीय समस्या बनी बाधा
आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार गरीब और जरूरतमंद लोगों को गोल्डन कार्ड जारी करती है, जिससे वे सूचीबद्ध अस्पतालों में कैशलेस इलाज प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन हाल ही में कई निजी अस्पतालों ने इस योजना के तहत मरीजों का इलाज करने से मना कर दिया है। अस्पतालों का कहना है कि सरकार की ओर से क्लेम की राशि समय पर नहीं मिल रही है, जिससे उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मरीजों की बढ़ी परेशानी
इलाज के लिए सरकारी सूची में शामिल अस्पतालों के इनकार के कारण गोल्डन कार्ड धारकों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में मोटी रकम चुकानी पड़ रही है, जबकि उन्हें इस योजना के तहत मुफ्त इलाज मिलने का आश्वासन दिया गया था। खासकर ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में यह समस्या ज्यादा गंभीर होती जा रही है।
सरकार ने दिए समाधान के संकेत
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द समाधान निकालने का भरोसा दिलाया है। अधिकारियों का कहना है कि अस्पतालों के बकाया भुगतान को जल्द ही जारी किया जाएगा, जिससे मरीजों को इलाज में कोई दिक्कत न हो। सरकार इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए अस्पतालों से बातचीत कर रही है और जल्द ही ठोस कदम उठाए जाने की संभावना है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि आयुष्मान भारत योजना देश के गरीब और वंचित वर्ग के लिए बेहद फायदेमंद है, लेकिन यदि भुगतान में देरी की समस्या बनी रही, तो यह योजना प्रभावित हो सकती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को अस्पतालों की वित्तीय समस्याओं को प्राथमिकता से हल करना चाहिए, ताकि कोई भी मरीज इलाज से वंचित न रहे।
सरकार के कदम कितने प्रभावी साबित होते हैं, यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल, गोल्डन कार्ड धारकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और वे सरकार से जल्द राहत की उम्मीद कर रहे हैं।