
बेटी के जन्म से निराश परिवार, लेकिन बाद में बनीं घर का गर्व
ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के राउरकेला गांव में जन्मी संजीता मोहापात्रा की कहानी संघर्ष और सफलता की मिसाल है। उनके माता-पिता बेटा चाहते थे, लेकिन जब दूसरी बेटी का जन्म हुआ तो परिवार निराश हो गया। हालांकि, धीरे-धीरे उन्होंने अपनी बेटियों को अपनाया और उन्हें शिक्षित करने का निर्णय लिया।
परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर, लेकिन पढ़ाई में थीं तेज
संजीता पढ़ाई में अव्वल थीं, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते उनकी पढ़ाई खतरे में थी।
🔹 स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें गोद लिया और 10वीं तक की पढ़ाई का खर्च उठाया।
🔹 11वीं और 12वीं के लिए समाज के कई लोगों ने मदद की।
🔹 इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति और लोन लिया।
पति ने बढ़ाया हौसला, चार बार असफल लेकिन नहीं मानी हार
शादी के बाद भी संजीता का संघर्ष जारी रहा।
🔹 उन्होंने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में नौकरी की लेकिन यूपीएससी का सपना नहीं छोड़ा।
🔹 चार बार असफल होने के बाद पांचवें प्रयास में मिली सफलता, 2019 में बनीं IAS अधिकारी।
🔹 महाराष्ट्र कैडर मिला और वर्तमान में अमरावती जिला परिषद की CEO के रूप में कार्यरत हैं।
बेटियों की सफलता ने बदली परिवार की तकदीर
संजीता की बड़ी बहन सरिता भी इंजीनियर बनीं और दोनों बहनों ने अपने माता-पिता के लिए एक सुंदर घर बनवाया। अपने खर्च पर शादी की और आत्मनिर्भर बनीं।
संजीता का युवाओं को संदेश: हार मत मानो, मेहनत से मिलेगी सफलता
IAS अधिकारी संजीता मोहापात्रा ने युवाओं से अपील की कि कठिनाइयों से घबराएं नहीं, बल्कि उन्हें अपनी प्रेरणा बनाएं। उन्होंने कहा,
💡 “हर किसी के जीवन में समस्याएं होती हैं, लेकिन असली जीत उन्हें पार करने में है। पुरुष और महिला में भेदभाव नहीं होना चाहिए, खुद पर भरोसा करें और आगे बढ़ें।”
👉 संजीता की यह प्रेरणादायक कहानी साबित करती है कि अगर मेहनत और हौसला हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। 🚀