हरिद्वार में हाल ही में गंगा के पानी को बंद किए जाने के बाद हर की पैड़ी के पास गंगा की तलहटी से ब्रिटिशकालीन रेलवे पटरियां सामने आई हैं, जो स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इतिहास के जानकार बताते हैं कि यह रेलवे लाइन 1850 के आसपास गंग नहर के निर्माण के दौरान हाथ से चलने वाली गाड़ियों के लिए बिछाई गई थी, जिनका उपयोग निर्माण सामग्री और निरीक्षण के लिए होता था। इस लाइन का इस्तेमाल ब्रिटिश इंजीनियरों ने गंगा नहर के निर्माण में किया था, जिसे लॉर्ड डलहौजी का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट माना जाता है। यह पटरियां गंग नहर के बंद होने पर हर साल सामने आती हैं जब नहर की सफाई और मेंटेनेंस कार्य होते हैं।
इतिहासकारों के अनुसार, गंग नहर के निर्माण के दौरान रुड़की और कलियर के बीच इस पटरियों को बिछाया गया था, जिसका उपयोग उन दिनों में डैम और तटबंधों के निर्माण कार्य में किया जाता था। हालांकि इसे भारत की पहली रेलवे लाइन के रूप में पहचान नहीं मिली, यह एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी का हिस्सा थी जो उस समय इस्तेमाल की जा रही थी। पटरियां आज भी ब्रिटिश इंजीनियरिंग की तकनीकी और योजना का नमूना पेश करती हैं।
गंग नहर लॉर्ड डलहौजी के अधीन एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था, और इसके निर्माण में इंजीनियर कोटले की प्रमुख भूमिका थी। इसके साथ ही हर साल गंगा का जलस्तर कम होने पर यह पटरियां सार्वजनिक रूप से दिखाई देती हैं, जो इतिहास के कई पहलुओं को उजागर करती हैं।