
कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच बाजार धड़ाम, निफ्टी 23,250 के नीचे फिसला
व्यापार सप्ताह के पहले दिन भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली। कमजोर वैश्विक संकेतों के दबाव में सेंसेक्स 700 अंक से अधिक गिरकर और निफ्टी 23,250 के नीचे चला गया। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी भारी बिकवाली दर्ज की गई, जिससे बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 1% से अधिक टूट गए।
5 लाख करोड़ रुपये का निवेशकों को झटका
बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण पिछले सत्र में 424 लाख करोड़ रुपये था, जो घटकर 419 लाख करोड़ रुपये रह गया। इस गिरावट से निवेशकों को लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा।
बाजार में गिरावट के ये रहे मुख्य कारण
1. वैश्विक बाजारों में कमजोरी का असर
अमेरिका द्वारा कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने के फैसले से एशियाई बाजारों में गिरावट आई। इस फैसले ने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है, जिससे बाजारों में अनिश्चितता देखी जा रही है।
2. ट्रंप टैरिफ का बाजार पर असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आयातित सामान पर 25% शुल्क और चीन से आयात पर 10% शुल्क लगाने का ऐलान किया है। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ सकता है और वैश्विक आर्थिक मंदी की संभावना बढ़ गई है।
3. रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर
सोमवार को भारतीय रुपया पहली बार 87 प्रति डॉलर के स्तर से नीचे गिरा। अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से निरंतर पैसा निकाल रहे हैं, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी पर दबाव बढ़ा है।
4. आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक से पहले सतर्कता
बाजार अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के नतीजों पर नजर बनाए हुए है। सरकार द्वारा हाल ही में घोषित आयकर सुधारों के बाद विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि आरबीआई ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है।
5. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली
अक्टूबर 2024 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजार से 2.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। यह बिकवाली बाजार में गिरावट का मुख्य कारण बनी हुई है और निवेशकों की धारणा को कमजोर कर रही है।
क्या आगे भी जारी रहेगा गिरावट का दौर?
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार की चाल अब वैश्विक आर्थिक घटनाओं, डॉलर की स्थिति और आरबीआई की नीतिगत घोषणाओं पर निर्भर करेगी। अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रही और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य कमजोर रहा, तो बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है।