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उत्तराखंड में दायित्व बांटे, धामी सरकार ने जारी की पहली लिस्ट

Responsibilities distributed in Uttarakhand, Dhami government released the first list

देहरादून: उत्तराखंड में लंबे समय से दायित्वधारी नेताओं को लेकर चल रही चर्चाओं पर 1 अप्रैल को विराम लग गया। धामी सरकार ने 20 नेताओं की पहली सूची जारी कर दी है, जिन्हें विभिन्न बोर्ड, निगम और समितियों में पद सौंपे गए हैं।

2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी

धामी सरकार ने जिन नेताओं को दायित्व दिया है, उनके कंधों पर 2027 के विधानसभा चुनाव की बड़ी जिम्मेदारी होगी। हालांकि, यह पहली सूची है और अभी करीब 100 नेताओं को और दायित्व दिए जाने हैं। अनुमान है कि जल्द ही एक या दो और सूची जारी हो सकती हैं

अभी और बांटे जाएंगे दायित्व

विभिन्न बोर्ड, निगम और समितियों में कई पद खाली पड़े हैं। ऐसे में 60 से अधिक पदों पर और नियुक्तियां हो सकती हैं। वर्तमान में 19 नेताओं को उपाध्यक्ष पद दिया गया है, जबकि अन्य नाम भी लगभग तय हैं और जल्द ही उनकी सूची सामने आएगी।

कौन-कौन से नेताओं को मिली जिम्मेदारी?

सरकार ने हर क्षेत्र के नेताओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया। राजधानी देहरादून से लेकर पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग और हरिद्वार तक के नेताओं को शामिल किया गया है।

कुछ प्रमुख नियुक्तियां:

  • कुलदीप कुमार (देहरादून): उत्तराखंड वन पंचायत सलाहकार परिषद के अध्यक्ष। पूर्व केंद्रीय मंत्री निशंक के करीबी।
  • ऐश्वर्या रावत (रुद्रप्रयाग): राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष। पूर्व विधायक शैलारानी रावत की बेटी।
  • हरक सिंह नेगी (चमोली): वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष। महेंद्र भट्ट के करीबी।
  • गंगा बिष्ट (अल्मोड़ा): राज्य महिला उद्यमिता परिषद की उपाध्यक्ष।
  • श्याम अग्रवाल (देहरादून): उत्तराखंड आवास सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष। सीएम धामी के करीबी।
  • अजय कोठियाल (टिहरी गढ़वाल): उत्तराखंड राज्य पूर्व सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष। पूर्व AAP नेता, अब बीजेपी में।
  • सायरा बानो (उधम सिंह नगर): उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष। तीन तलाक विरोधी मुहिम में चर्चित।
  • भूपेश उपाध्याय (बागेश्वर): उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद के उपाध्यक्ष। भगत सिंह कोश्यारी के करीबी।

दर्जाधारी मंत्री और कैबिनेट मंत्री में अंतर

उत्तराखंड में जिन नेताओं को दायित्व मिला है, वे दर्जाधारी मंत्री कहलाएंगे। हालांकि, कैबिनेट मंत्री की तुलना में दर्जाधारी मंत्रियों के पास कम अधिकार होते हैं और वे आमतौर पर कैबिनेट मंत्रियों के अधीन काम करते हैं।

क्या संवैधानिक है दर्जाधारी मंत्रियों का पद?

दर्जा प्राप्त मंत्री का पद संविधान में उल्लिखित नहीं है। सरकार किसी को भी यह दायित्व दे सकती है और इसके लिए कोई शपथ ग्रहण समारोह भी नहीं होता। यह पूरी तरह सरकार की नीति पर निर्भर करता है कि इन नेताओं को क्या सुविधाएं दी जाएंगी

निष्कर्ष

धामी सरकार की यह पहली सूची राजनीतिक संतुलन साधने और आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। आने वाले दिनों में और नाम सामने आ सकते हैं, जिससे उत्तराखंड में राजनीतिक हलचल और तेज होने की संभावना है।

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