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हरिद्वार में ज़मीन घोटाला उजागर, पूर्व डीएम पर गंभीर आरोप

Land scam exposed in Haridwar, serious allegations against former DM

हरिद्वार, 2 मई 2025: उत्तराखंड के हरिद्वार ज़िले में एक बड़ा प्रशासनिक घोटाला सामने आया है, जिसमें तत्कालीन ज़िलाधिकारी पर अपने पद का दुरुपयोग कर नगर निगम को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाने का आरोप है। यह मामला सरकारी संसाधनों और सत्ता के दुरुपयोग का चौंकाने वाला उदाहरण बन गया है।

कृषि भूमि को नियमविरुद्ध बनाया गया वाणिज्यिक

सूत्रों के अनुसार, संबंधित ज़मीन मूलतः कृषि के उपयोग के लिए चिन्हित थी, जिसे ग़लत तरीके से वाणिज्यिक श्रेणी में बदलवाया गया। इसमें संबंधित एसडीएम पर जानबूझकर दबाव बनाकर धारा 143 के अंतर्गत भूमि उपयोग परिवर्तन कराया गया। यह प्रक्रिया स्पष्ट रूप से नियमों और नैतिकता के विरुद्ध कही जा रही है।

नगर निगम को लगाया गया करोड़ों का चूना

भूमि को वाणिज्यिक घोषित किए जाने के बाद जब वही अधिकारी नगर निगम के प्रशासक नियुक्त हुए, तो उन्होंने एमएनए पर दबाव डालकर प्रस्ताव पारित करवाया और निगम के नाम पर ज़मीन खरीद ली। आश्चर्यजनक रूप से उस भूमि की वास्तविक सरकारी दर 15 करोड़ रुपये थी, जबकि निगम ने 56 करोड़ रुपये की ऊंची कीमत पर इसे खरीदा, जिससे लगभग 40 करोड़ का अतिरिक्त बोझ निगम पर आ गया।

ईमानदार अफसरों पर गिरी गाज़, भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण

इस मामले में विशेष चिंता की बात यह है कि जिन कर्मचारियों ने इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठाई, उन्हें या तो निलंबित कर दिया गया या स्थानांतरित कर दिया गया। वहीं, मुख्य आरोपी अधिकारी के विरुद्ध अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे शासन प्रणाली की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर प्रश्न उठने लगे हैं।

उच्च स्तरीय जांच और सख्त कार्रवाई की मांग

यह प्रकरण राज्य शासन की ईमानदारी और जवाबदेही पर सीधा हमला करता है। जनता और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि मुख्यमंत्री स्तर पर इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। यदि ऐसे मामलों पर शीघ्र और कठोर कार्रवाई नहीं होती, तो सरकारी तंत्र में जनता का विश्वास डगमगा सकता है।

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