
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की में आज अंतर्राष्ट्रीय जल विज्ञान संघ (आईएएचएस) की बारहवीं वैज्ञानिक सभा का शुभारंभ हुआ। इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में दुनिया भर के प्रमुख वैज्ञानिक, शोधकर्ता और नीति निर्माता सतत जल संसाधन प्रबंधन, जल विज्ञान में नवाचार तथा जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता जैसे विषयों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने इस वैज्ञानिक सभा का उद्घाटन किया। उन्होंने जल विज्ञान अनुसंधान और इसके सामाजिक अनुप्रयोगों को आगे बढ़ाने में आईआईटी रुड़की और आईएएचएस की सराहना की।
मुख्य सचिव ने कहा कि “जल विज्ञान, जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। आईआईटी रुड़की जैसे संस्थान वैश्विक ज्ञान को स्थानीय समाधानों से जोड़कर समुदायों और नीति निर्माताओं दोनों को सशक्त बनाते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि यह वैज्ञानिक सभा नवाचार, सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान के माध्यम से वैश्विक जल चुनौतियों के समाधान के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने अपने संबोधन में कहा कि “मुझे विश्वास है कि यह छह दिवसीय सभा नए विचारों, दीर्घकालिक साझेदारियों और परिवर्तनकारी नवाचारों को प्रेरित करेगी, जो जल विज्ञान एवं समाज दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगी।”
सत्र के दौरान आईएएचएस वैज्ञानिक सभा 2025 की कार्यवाही का विमोचन भी किया गया, जो एक सप्ताह तक चलने वाले वैज्ञानिक विचार-विमर्श, तकनीकी सत्रों, प्रदर्शनी और अंतरराष्ट्रीय सहयोगों की शुरुआत का प्रतीक है।
इस अवसर पर आईएएचएस के अध्यक्ष प्रो. साल्वातोरे ग्रिमाल्डी, आईएनएसए के उपाध्यक्ष एवं सीएसआईआर-एनईआईएसटी के निदेशक डॉ. वी.एम. तिवारी, आईएएचएस एसए 2025 के अध्यक्ष प्रो. सुमित सेन तथा संयोजक प्रो. अंकित अग्रवाल सहित कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।