Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का हिमालयी इकोसिस्टम पर गहन अध्ययन: वन्यजीव, वनस्पतियों और जल संसाधनों पर खतरे की आशंका
In-depth study of the effects of global warming on the Himalayan ecosystem: Threats to wildlife, vegetation and water resources

देहरादून: ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर खतरों को देखते हुए, वैज्ञानिक हिमालय के इकोसिस्टम पर इसके प्रभावों का आकलन कर रहे हैं। तापमान बढ़ने के कारण हिमालयी क्षेत्र की जलवायु, वन्यजीव, वनस्पतियों और जल संसाधनों में होने वाले संभावित बदलावों को समझने की कोशिश की जा रही है। इस व्यापक अध्ययन में कई राष्ट्रीय संस्थाएं हिस्सा ले रही हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) वनस्पतियों और जीवों पर तापमान में वृद्धि के असर का आकलन कर रहा है, जबकि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (WIGH) ग्लेशियरों के अध्ययन पर काम कर रहा है।
भारत सरकार का नेशनल एक्शन प्लान फॉर क्लाइमेट चेंज (NAPCC) हिमालयी इकोसिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए कई अध्ययन कर रहा है। अध्ययन में पाया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास प्रभावित हो रहे हैं। हिमालय के संवेदनशील क्षेत्र, जहां हिम तेंदुआ, कस्तूरी मृग, भूरा भालू और हिमालयन मोनल जैसे वन्यजीव रहते हैं, उन्हें अपने पारंपरिक ठंडे आवास से और ऊंचे क्षेत्रों में पलायन करने की जरूरत पड़ेगी।
अध्ययन का उद्देश्य यह है कि कैसे 2030, 2050, 2070 और 2100 तक बढ़ते तापमान का प्रभाव हिमालय पर पड़ेगा। इसमें तापमान वृद्धि के मॉडल का उपयोग करके यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कैसे ग्लेशियर, नदियाँ, वनस्पतियाँ और वन्यजीव इस बदलाव से प्रभावित होंगे। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के हिमालयी बेसिनों में इस अध्ययन का विस्तारित रूप से काम हो रहा है।
इस अध्ययन से वन्यजीवों और वनस्पतियों के संरक्षण और भविष्य की योजनाओं को आकार देने में मदद मिलेगी, ताकि ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले खतरों का प्रभाव कम किया जा सके।