
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ग्रामीण रोजगार, किसानों की आय बढ़ाने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए गोबर धन योजना को प्रभावी ढंग से लागू कर रही है। इस दिशा में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर योजना के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
योजना को सफल बनाने के लिए ठोस कदम
मुख्य सचिव ने पेयजल, पशुपालन, उरेडा, डेयरी, और कृषि विभागों की जिम्मेदारी तय करते हुए कार्य योजना को समयबद्ध रूप से लागू करने के निर्देश दिए। इसके तहत:
- डेयरी विकास विभाग के तहत 400 किग्रा बायोगैस प्रतिदिन उत्पादन क्षमता वाला संयंत्र गढ़वाल दुग्ध संघ (श्रीनगर) में स्थापित किया जा रहा है।
- संयंत्र का संचालन निजी उद्यमी द्वारा किया जाएगा, और गोबर स्थानीय किसानों से खरीदा जाएगा।
संयंत्र की मुख्य विशेषताएं
- बायोगैस उत्पादन: 400 किग्रा प्रतिदिन।
- बायो पेंट इकाई: 1000 किग्रा प्रतिदिन।
- जैविक खाद उत्पादन इकाई: 3000 किग्रा प्रतिदिन।
- संचालन के लिए प्रतिदिन 4000 किग्रा गोबर और 3000 किग्रा बायोमास की आवश्यकता होगी।
- किसानों को 2 रुपये प्रति किग्रा की दर से गोबर खरीदा जाएगा।
रुद्रपुर में बायो सीएनजी संयंत्र
रुद्रपुर में 1000 किग्रा बायो सीएनजी प्रतिदिन उत्पादन क्षमता का संयंत्र स्थापित किया जा रहा है।
- स्थापना मॉडल: BOT (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर)।
- संयंत्र में 1.5 एकड़ भूमि का उपयोग किया जाएगा।
- इसके अलावा:
- पेंट इकाई: 5000 किग्रा प्रतिदिन।
- जैविक खाद (PROM) इकाई: 30,000 किग्रा प्रतिदिन।
- संचालन के लिए 25,000 किग्रा गोबर और 15,000 किग्रा बायोमास की आवश्यकता होगी।
किसानों के लिए बेहतर अवसर
- संयंत्रों में गोबर की आपूर्ति के लिए दुग्ध समितियों और अन्य दुग्ध उत्पादकों से गोबर खरीदा जाएगा।
- किसानों को गांव/समिति स्तर पर गोबर के लिए 1 रुपये प्रति किग्रा और संयंत्र पर पहुंचाने के लिए 2 रुपये प्रति किग्रा भुगतान किया जाएगा।
सरकार का उद्देश्य
उत्तराखंड सरकार का लक्ष्य है कि गोबर धन योजना के माध्यम से:
- स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाया जाए।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।
- किसानों की आय में सुधार हो।
- स्वच्छता और सतत विकास को बढ़ावा दिया जाए।
यह योजना उत्तराखंड को स्वच्छ ऊर्जा और सतत ग्रामीण विकास के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाने का वादा करती है।