
कोटा: भारत के सबसे महत्वाकांक्षी हाईवे प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर ऐतिहासिक निर्माण कार्य जारी है। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से गुजरने वाली यह 8-लेन अंडरग्राउंड टनल न केवल अभूतपूर्व इंजीनियरिंग का उदाहरण होगी, बल्कि पर्यावरण संतुलन को बनाए रखते हुए बनाई जा रही है। इसकी खुदाई लगभग पूरी हो चुकी है, और अब इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं जोड़ी जाएंगी।
भारत की पहली 8-लेन सुरंग, हाईटेक तकनीकों से होगी लैस
यह टनल आधुनिक वेंटिलेशन सिस्टम, एआई मॉनिटरिंग, फायर सेफ्टी, इमरजेंसी एक्जिट जैसी विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस होगी। यात्री मोबाइल नेटवर्क बूस्टर और एफएम फ्रीक्वेंसी सिस्टम की मदद से सुरंग में भी बेहतरीन कनेक्टिविटी का आनंद ले सकेंगे। इसके अलावा, लक्स लाइटिंग इफेक्ट वाहन चालकों के लिए यात्रा को सुरक्षित बनाएगा।
निर्माण में देरी, लेकिन चुनौतियों को किया पार
टनल का निर्माण जनवरी 2024 तक पूरा होना था, लेकिन पर्यावरण अनुमति में देरी और खुदाई के दौरान मिट्टी वाली चट्टानों की मौजूदगी के कारण परियोजना में बाधाएं आईं। विस्फोट के दौरान पानी भरने जैसी चुनौतियों के बावजूद, इंजीनियरों ने उच्च तकनीकी रणनीतियों का उपयोग करते हुए कार्य को आगे बढ़ाया।
टनल की संरचना और निर्माण की स्थिति
- टनल की कुल लंबाई: 4.9 किमी
- अंडरग्राउंड सुरंग: 3.3 किमी
- कट एंड कवर तकनीक से निर्मित हिस्सा: 1.6 किमी
- दो समानांतर टनल: हर टनल में 4-4 लेन
- ब्रेकथ्रू सेरेमनी आयोजित: कोटा से चेचट जाने वाली टनल की खुदाई पूरी
- दूसरी टनल में 60 मीटर की खुदाई शेष, एक माह में पूरी होगी
टनल की विशेषताएं जो इसे बनाएंगी भारत की सबसे सुरक्षित सुरंग
- 100 साल की मजबूती: ₹1000 करोड़ की लागत से तैयार की जा रही यह टनल 100 वर्षों तक मजबूत बनी रहेगी।
- ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग तकनीक: 50 से 200 मीटर की गहराई तक खुदाई की गई है।
- पॉल्यूशन सेंसर: हवा में मौजूद नाइट्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर जैसी हानिकारक गैसों की निगरानी के लिए आधुनिक सेंसर लगाए जाएंगे।
- 104 जेट फैन: वेंटिलेशन और ऑक्सीजन स्तर बनाए रखने के लिए सुरंग में 104 जेट फैन स्थापित किए जाएंगे।
- वाटरप्रूफ संरचना: टनल को पूरी तरह वाटरप्रूफ बनाया जा रहा है, ताकि पानी का रिसाव न हो।
- SCADA कंट्रोल सिस्टम: सुरंग में वाहनों की गति और सुरक्षा निगरानी के लिए एआई-आधारित सर्विलांस सिस्टम लगाया जाएगा।
- इमरजेंसी पैसेज: हर 300 मीटर की दूरी पर 12 इमरजेंसी पैसेज बनाए जा रहे हैं।
पर्यावरण संरक्षण के साथ तेज और सुरक्षित यात्रा का लक्ष्य
दिल्ली बिल्डकॉन लिमिटेड के जनरल मैनेजर संजय कुमार राठौड़ ने बताया कि यह टनल केवल एक बुनियादी ढांचा परियोजना नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और यातायात को सुगम बनाने का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखते हुए इसका निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर यात्रा पहले से अधिक तेज और सुरक्षित होगी, जिससे समय और ईंधन की बचत होगी।
कब पूरी होगी टनल?
- मार्च 2025: खुदाई और टनल की चौड़ाई बढ़ाने का कार्य पूरा होगा।
- जून 2025: सड़क निर्माण और अन्य कार्यों की शुरुआत होगी।
- दिसंबर 2025: पूरी टनल के निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य।
भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर में नए मानक स्थापित करेगा यह प्रोजेक्ट
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की यह टनल सुरक्षा, आधुनिक तकनीक और पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण होगी। इसके निर्माण से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि स्थानीय मजदूरों और इंजीनियरों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। इस टनल के पूरा होने से न केवल हाईवे की यात्रा अधिक सुरक्षित होगी, बल्कि यह भारतीय बुनियादी ढांचे में एक नया मानक भी स्थापित करेगी।