जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोरों पर हैं, और राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक होने जा रहा है, क्योंकि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। इसके चलते न केवल जम्मू-कश्मीर, बल्कि पूरे देश की नजरें इस चुनाव पर टिकी हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, बीजेपी और कांग्रेस जैसी प्रमुख पार्टियों ने अपनी चुनावी गतिविधियां तेज कर दी हैं। खासकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी क्षेत्रीय हितों को प्रमुख मुद्दा बना रही हैं, जबकि बीजेपी अपने विकास और राष्ट्रीय एकता के एजेंडे पर जोर दे रही है। कांग्रेस भी इस बार जनता को लुभाने के लिए नए वादों के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया था और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यह पहला मौका होगा जब वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत विधानसभा का गठन होगा। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि लोग किन मुद्दों को चुनावी मैदान में प्राथमिकता देते हैं। सुरक्षा, विकास, और धारा 370 के बाद के बदलाव मुख्य चुनावी मुद्दे बन सकते हैं।
चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों की घोषणा अभी तक नहीं की है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि चुनाव दिसंबर 2024 में होंगे। चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था पर खास ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि यह क्षेत्र संवेदनशील है और अतीत में आतंकवादी गतिविधियों के चलते सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार चुनाव परिणाम जम्मू और कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में काफी विभाजित हो सकते हैं। जम्मू क्षेत्र में बीजेपी को मजबूत समर्थन मिलने की उम्मीद है, जबकि कश्मीर घाटी में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव कायम रह सकता है।
जम्मू-कश्मीर के इस चुनाव के नतीजे न केवल राज्य की राजनीति को नई दिशा देंगे, बल्कि केंद्र और राज्य के संबंधों पर भी गहरा असर डाल सकते हैं।