देहरादून: चमोली जिले के ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) में पुनर्निर्माण कार्यों के लिए राज्य सरकार फिलहाल केंद्र सरकार से बजट की स्वीकृति का इंतजार कर रही है। क्षेत्र में घरों और सड़कों में आई दरारें, जो डेढ़ साल पहले गंभीर चिंता का विषय बनी थीं, अब भी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई हैं। हालांकि, इन खतरनाक हालातों को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पुनर्निर्माण और संरक्षण योजनाओं पर काम कर रहा है।
दरारों की गंभीरता और सुरक्षा का संकट
साल 2023 की शुरुआत में ज्योतिर्मठ के विभिन्न हिस्सों में सड़कों और घरों पर दरारें बढ़ने लगी थीं। इस घटना ने इलाके में भय और अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया। इसके बाद कुछ परिवारों को उनके घरों से हटाया गया, लेकिन कस्बे को सुरक्षित बनाने के लिए कोई ठोस समाधान अब तक नहीं निकाला जा सका।
राज्य सरकार ने समस्या का समाधान निकालने के लिए वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की मदद से दरारों के कारणों की जांच कराई। हालांकि, कुछ छोटे स्तर के मरम्मत कार्य किए गए, लेकिन बड़ी परियोजनाएं अब भी बजट और योजना की प्रतीक्षा में रुकी हुई हैं।
डीपीआर स्वीकृति और बजट का इंतजार
उत्तराखंड सरकार को पुनर्निर्माण कार्यों के लिए केंद्र सरकार से डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) स्वीकृत करानी होगी। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग ने अधिकांश परियोजनाओं की डीपीआर तैयार कर ली है, जबकि कुछ की तैयारी जारी है।
विभाग के अधिकारियों के अनुसार, डीपीआर इसी महीने केंद्र को भेजी जाएगी। इसके बाद, केंद्र सरकार की स्वीकृति और बजट मिलने के बाद ही पुनर्निर्माण कार्यों की शुरुआत हो सकेगी।
पानी का रिसाव: समस्या की जड़
वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का मानना है कि ज्योतिर्मठ में दरारों और भू-धंसाव का मुख्य कारण पानी का रिसाव है। क्षेत्र में सीवरेज ट्रीटमेंट और ड्रेनेज सिस्टम की भारी कमी है, जो जमीन के अस्थिर होने का प्रमुख कारण बन रही है।
आपदा प्रबंधन विभाग ने पानी के बेहतर प्रबंधन को प्राथमिकता दी है। अधिकारियों का कहना है कि यदि पानी के रिसाव को नियंत्रित किया जाता है, तो ज्योतिर्मठ को भविष्य में सुरक्षित बनाया जा सकता है।
बरसात से पहले ड्रेनेज सिस्टम सुधारने की जरूरत
क्षेत्र में प्रभावित घरों के निवासियों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है। हालांकि, बरसात से पहले ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करना अत्यावश्यक है। राज्य सरकार इसे प्राथमिकता में रखते हुए केंद्र से डीपीआर जल्द से जल्द स्वीकृत कराने की प्रक्रिया में जुटी है।
क्या-क्या काम किए जाने हैं?
पुनर्निर्माण और संरक्षण कार्यों के तहत निम्नलिखित कार्य किए जाने प्रस्तावित हैं:
- दरारों को भरने और मजबूत करने का कार्य।
- सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण।
- पानी के रिसाव को रोकने के लिए आधुनिक ट्रीटमेंट प्लान।
- खतरनाक जोन की पहचान और वहां से परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना।
अधिकारियों की योजना और समयसीमा
राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि डीपीआर का परीक्षण पूरा होते ही इसे केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा। इसके बाद, राज्य को केंद्र से बजट मिलने में कुछ समय लग सकता है।
अधिकारियों का मानना है कि ड्रेनेज सिस्टम का काम बरसात से पहले शुरू होना चाहिए, ताकि बारिश के मौसम में कोई नई समस्या न खड़ी हो।
निष्कर्ष: ज्योतिर्मठ को बचाने की चुनौती
ज्योतिर्मठ में दरारों की समस्या अब भी एक बड़ा खतरा बनी हुई है। राज्य सरकार की कोशिश है कि केंद्र की मदद से जल्द से जल्द पुनर्निर्माण कार्य शुरू किए जाएं। पानी के रिसाव को नियंत्रित करने के साथ, सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम का मजबूत निर्माण इस क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए जरूरी है।
यदि समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले बरसात के मौसम में समस्या और गंभीर हो सकती है। ऐसे में केंद्र और राज्य के बीच समन्वय जरूरी है, ताकि ज्योतिर्मठ को पुनः एक सुरक्षित और स्थायी कस्बे के रूप में विकसित किया जा सके।