
भारत के महान उद्योगपति रतन टाटा की भक्ति और तिरुपति से जुड़ाव किसी से छिपा नहीं है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के श्रीवारी की सेवाओं को तकनीकी सहायता से सशक्त करने में रतन टाटा और उनके टाटा समूह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्रीवारी की सेवाओं को डिजिटल और अधिक सुलभ बनाने में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का योगदान उल्लेखनीय रहा है।
सेवाओं का डिजिटलीकरण
टीसीएस ने तिरुपति देवस्थानम के लिए मुफ्त सॉफ्टवेयर सेवाएं प्रदान की हैं। इन सेवाओं ने श्रद्धालुओं के लिए टिकट बुकिंग, कमरे आवंटन, नकद रसीदों, ऑनलाइन पेमेंट और करंट बुकिंग को बेहद आसान बना दिया है। 2018 में, रतन टाटा ने स्वयं तिरुपति की यात्रा कर श्रीवारी दर्शन का अनुभव किया था, जिसके साथ टाटा समूह के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन भी थे।
कैंसर उपचार में योगदान
रतन टाटा की समाज सेवा की प्रतिबद्धता सिर्फ तकनीकी सहायता तक सीमित नहीं है। कैंसर से लड़ने के लिए टाटा ट्रस्ट ने श्रीवारी के श्री वेंकटेश्वर इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर एंड एडवांस्ड रिसर्च सेंटर (SVCAR) की स्थापना की, जिसके लिए टीटीडी ने 25 एकड़ भूमि आवंटित की। इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 250 करोड़ रुपये रही, और इसका उद्देश्य गरीब लोगों को कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने में मदद करना है।
टाटा ट्रस्ट ने भारत के विभिन्न हिस्सों में पांच कैंसर अस्पतालों की स्थापना की है, जिनमें से एक तिरुपति में स्थित है। जब तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस नेक कार्य के लिए सहयोग मांगा, तो रतन टाटा ने तुरंत तिरुपति में कैंसर अस्पताल स्थापित करने का निर्णय लिया।
रतन टाटा की सेवा भावना
टाटा ट्रस्ट की ओर से दी जा रही ये सेवाएं न केवल तिरुपति बल्कि पूरे देश के लिए वरदान साबित हो रही हैं। रतन टाटा की सामाजिक सेवा और उनके नेतृत्व में टाटा समूह द्वारा किए गए ये प्रयास भारतीय समाज में एक बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का निर्माण कर रहे हैं।
इन सेवाओं और परियोजनाओं ने श्रीवारी की सेवा को आधुनिक तकनीक और मानवता के साथ जोड़ते हुए एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है, जो रतन टाटा की दूरदर्शिता और उनकी सेवा भावना का जीता-जागता उदाहरण है।