
नई दिल्ली, 11 जून – भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्षेत्र की प्रगति पर फिलहाल एक नया संकट मंडरा रहा है। इलेक्ट्रिक मोटरों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले दुर्लभ-अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति पर चीन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने भारतीय ईवी उद्योग को गंभीर चुनौती में डाल दिया है। इन मैग्नेट्स के बिना ब्रशलेस डीसी (BLDC) और परमानेंट मैग्नेट सिंक्रोनस मोटर्स (PMSM) का निर्माण असंभव हो जाता है, जो अधिकतर ईवी में इस्तेमाल होती हैं।
चीन की नीति ने बढ़ाई परेशानी
इस वर्ष अप्रैल में चीन ने दुर्लभ अर्थ मैग्नेट्स पर निर्यात नियंत्रण और प्रक्रियाएं कड़ी कर दीं। इससे पहले 2023 में वह मैग्नेट उत्पादन से जुड़ी तकनीक के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा चुका था। अब इन कदमों ने चीन को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर मजबूत नियंत्रण प्रदान कर दिया है। भारत, जो कि इन मैग्नेट्स का लगभग 90% चीन से आयात करता है, अब अचानक आपूर्ति संकट का सामना कर रहा है।
वाहन उद्योग की चेतावनी
देश के प्रमुख वाहन निर्माता मौजूदा स्टॉक पर निर्भर हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक यह इन्वेंट्री मौजूद है, उत्पादन जारी रहेगा। लेकिन जैसे ही यह खत्म होगा, उत्पादन में बाधा आ सकती है। इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की कीमतें 5-8 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इससे उपभोक्ता पर बोझ बढ़ेगा और बिक्री भी प्रभावित हो सकती है।
सरकारी हस्तक्षेप की मांग
इंडस्ट्री एक्सपोर्ट काउंसिल के प्रमुख पंकज चड्ढा ने स्पष्ट कहा है कि अब यह केवल वाणिज्य या भारी उद्योग मंत्रालय का मामला नहीं रह गया है, बल्कि विदेश मंत्रालय को कूटनीतिक स्तर पर हस्तक्षेप करना चाहिए। उनका कहना है कि चीन भारत को कच्चे माल की जगह सीधे मोटर बेचने में अधिक रुचि रखता है, जिससे भारत के उत्पादन आत्मनिर्भरता के प्रयासों पर असर पड़ रहा है।
विकल्पों की तलाश और चुनौतियां
हालांकि वियतनाम, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से विकल्प तलाशे जा रहे हैं, लेकिन वर्तमान में उनकी उत्पादन क्षमता और लागत भारत की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है। साथ ही, नई आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रमाणित करने में वर्षों लग सकते हैं।
भविष्य की राह
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय के अनुसार, सरकार सक्रिय रूप से समाधान की दिशा में काम कर रही है और नए स्रोतों की पहचान की जा रही है। उनका कहना है कि भारत को अब एक ही देश पर निर्भरता खत्म करनी होगी और आयात विविधीकरण को प्राथमिकता देनी होगी।
जब तक कोई दीर्घकालिक समाधान नहीं निकलता, भारत की ईवी क्रांति चीन के फैसलों की जकड़ में फंसी रह सकती है। यह संकट भारत को आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ाने की चेतावनी भी है।