
हरिद्वार, 6 जून 2025: आज निर्जला एकादशी के पावन अवसर पर हरिद्वार में आस्था का सैलाब उमड़ा। यह एकादशी साल की सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में गिनी जाती है, जिसमें बिना जल ग्रहण किए व्रत किया जाता है। हरिद्वार के पावन तट पर सुबह से ही देशभर से आए श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर अपनी श्रद्धा का परिचय दिया।
निर्जला एकादशी की विशेषता और महत्व
निर्जला एकादशी का नाम ही इसके महत्व को दर्शाता है, क्योंकि इस दिन निर्जल व्रत रखा जाता है, यानी पूरा दिन पानी भी नहीं पीया जाता। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान, पितरों के लिए पिंडदान और दान देने से पूरे साल की 24 एकादशियों का फल मिलता है। ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि यह व्रत भले ही कठिन हो, लेकिन इसका फल अत्यंत फलदायक होता है और इससे मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।
हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए भारी भीड़
सुबह से हरिद्वार के प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी ने स्वच्छ और पवित्र गंगा जल में स्नान कर पूजा-अर्चना की। लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और दान-पुण्य कर रहे हैं। प्रशासन ने इस अवसर पर सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के व्यापक प्रबंध किए हैं ताकि किसी प्रकार की असुविधा न हो। इससे पहले गंगा दशहरा के दिन भी करीब 20 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया था।
पंडितों की ओर से विशेष मार्गदर्शन
पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि निर्जला एकादशी का व्रत शुद्ध मन से करना चाहिए और व्रत के पूर्व दान-पुण्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति इस व्रत को विधिपूर्वक करता है, उसे सारी एकादशियों का फल मिलता है। इसके अलावा गंगा स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति जीवन में खुशहाली का अनुभव करता है।
श्रद्धालुओं की आस्था और अनुभव
श्रद्धालुओं ने बताया कि गंगा स्नान करने से उन्हें मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। कई भक्तों का कहना था कि निर्जला एकादशी पर व्रत रखने और गंगा स्नान करने का अनुभव बेहद आनंददायक और पुण्यदायक होता है। लोग अपने परिवार और समाज के कल्याण की भी प्रार्थना कर रहे हैं।
निर्जला एकादशी के इस पावन दिन पर हरिद्वार का माहौल श्रद्धा और भक्ति से सराबोर रहा। गंगा के तट पर लगी भीड़ यह दर्शाती है कि आस्था आज भी लोगों के जीवन का अहम हिस्सा है। इस त्यौहार के माध्यम से लोग न केवल अपने पितरों का स्मरण करते हैं, बल्कि अपने जीवन को पुण्य और आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर करते हैं।