नई दिल्ली: न्यायपालिका को अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है। अब सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को कवर करने के लिए पत्रकारों के पास कानून की डिग्री होना अनिवार्य नहीं होगा। इस बदलाव से न केवल कानूनी रिपोर्टिंग के क्षेत्र में अवसरों का विस्तार होगा, बल्कि इससे विभिन्न मीडिया संगठनों से जुड़े पत्रकारों को न्यायपालिका की गतिविधियों को बेहतर ढंग से कवर करने में सहायता मिलेगी।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने इस फैसले पर कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट में मान्यता प्राप्त पत्रकारों की संख्या को बढ़ाना चाहते हैं। पहले की तरह कानून की डिग्री की शर्त अब अनिवार्य नहीं रही। हमने इसे अनावश्यक पाया और इसे हटाने का फैसला किया।” यह बदलाव पत्रकारों को अतिरिक्त सुविधाएं भी प्रदान करेगा, जैसे सुप्रीम कोर्ट परिसर में पार्किंग सुविधा और न्यायिक निर्णयों के आसान कवरेज के लिए रसद समर्थन।
चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं। उनके प्रयासों का उद्देश्य न केवल अदालत की दक्षता में सुधार लाना है, बल्कि न्यायिक प्रणाली को जनता के लिए अधिक सुलभ बनाना भी है। यहां उनके कुछ अन्य प्रमुख सुधार भी शामिल हैं:
1. पूर्ण न्यायिक पीठ का गठन: मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने यह सुनिश्चित किया कि सुप्रीम कोर्ट अपनी पूर्ण क्षमता, यानी 34 न्यायाधीशों की संख्या पर काम कर सके। हाल ही में इसमें कुछ नए न्यायाधीश भी शामिल किए गए हैं।
2. हाइब्रिड सुनवाई का प्रावधान: कोविड-19 के बाद से कोर्ट में वर्चुअल और इन-पर्सन सुनवाई का मिश्रित प्रणाली अपनाई गई, जिससे न्यायालय की दक्षता में सुधार हुआ है।
3. संरचित केस लिस्टिंग: जमानत और स्थानांतरण याचिकाओं जैसे मामलों को प्राथमिकता देने के लिए एक नया लिस्टिंग सिस्टम लागू किया गया, जिससे इन मामलों का तत्काल निपटारा हो सके।
4. विशेष केस दिवस: विशेष प्रकार के मामलों की सुनवाई के लिए अलग-अलग दिनों का निर्धारण किया गया, जिससे केस सुनवाई की प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित हो सके।
5. डिजिटल बदलाव: हजारों मामलों की ई-फाइलिंग के साथ डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में कदम उठाए गए, जिससे केस प्रबंधन प्रक्रिया को सरल बनाया गया।
6. बढ़ी हुई पारदर्शिता: राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) के माध्यम से सार्वजनिक रूप से केस जानकारी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई।
7. समावेशी माहौल: लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट परिसर में यूनिवर्सल शौचालयों का निर्माण और लैंगिक रूढ़िवादिता के खिलाफ पहल की गई है।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ का यह कदम पत्रकारों के लिए मान्यता प्रक्रियाओं को सरल बनाकर न्यायपालिका को अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे न्यायिक कवरेज में विविधता और सटीकता बढ़ने की संभावना है, जो एक समावेशी और जिम्मेदार न्यायपालिका के निर्माण में सहायक होगा।